श्यामलाल गुप्त ‘पार्षद’ विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झण्डा ऊँचा रहे हमारा
भारतीय स्वतंत्रता की विजय गाथा श्यामलाल गुप्त ‘पार्षद’ के जिक्र के बगैर अधूरा है, श्यामलाल गुप्त जी का जिक्र आते ही ” विजयी विश्व तिरंगा प्यारा” के बोल अनायास ही जुबान पर आ जाते हैं, श्यामलाल गुप्त जी के इस रचना ने उन्हें भारतीय इतिहास में सदैव के लिए अमर कर दिया ।

जन्म | 9 सितम्बर 1896 |
मृत्यु | 10 अगस्त 1977 |
माता-पिता | विशेश्वर प्रसाद, कौशल्या देवी |
कार्यक्षेत्र | समाज सेवक, पत्रकार , अध्यापक , कवि, स्वतंत्रता सेनानी |
पुरस्कार | पद्म श्री (1969) |
श्याम लाल गुप्ता जी ने स्वतंत्र भारत के सपने को साकार करने के लिए समाज सेवक, पत्रकार और एक अध्यापक की भूमिका को भी बखूबी निभाया है। श्यामलाल गुप्त जी का जन्म 9 सितंबर 1896 को उत्तर प्रदेश में कानपुर जिले के नरवल नाम के गांव में हुआ था।इनकी रूचि बचपन से ही कविता आदि की रचना में थी तो उन्होंने बड़ी सी छोटी सी आयु में एक कविता लिखा;
परोपकारी पुरुष मुहिम में, पावन पद पाते देखे,
उनके सुन्दर नाम स्वर्ण से सदा लिखे जाते देखे।
बाद में श्यामलाल गुप्त जी का मुलाकात अमर शहीद गणेश शंकर विद्यार्थी जी से हुआ जिसके बाद गुप्त जी ने अध्यापक, पुस्तकालयाध्यक्ष और बाद में पत्रकार के अलावा समाज सेवक के रूप में भी कार्य किया, गुप्तजी नरमपंथी विचारधारा के स्वतंत्रता सेनानी भी थे उन्होंने नमक आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन, असहयोग आंदोलन आदि को सफल बनाने में बहुमूल्य योगदान दिया है।
वे कई बार जेल भी गए, स्वतंत्रता पाने में गुप्त जी के रचनाओं का भी अहम् योगदान रहा है श्यामलाल गुप्त जी ने ही प्रसिद्ध “झंडा गीत” का रचना किया जिसे सबसे पहले 13 अप्रैल 1924 को जलियांवाला बाग दिवस पर फूलबाग कानपुर में सार्वजनिक रूप से गाया गया था।

झण्डा ऊँचा रहे हमारा
विजयी विश्व तिरंगा प्यारा – 2
झण्डा ऊँचा रहे हमारा…
सदा शक्ति बरसाने वाला
प्रेम सुधा सरसाने वाला
वीरों को हर्षाने वाला
मातृभूमि का तन मन सारा – 2
झण्डा ऊँचा रहे हमारा …
स्वतंत्रता के भीषण रण में
लखकर जोश बढ़े क्षण क्षण में
काँपे शत्रु देखकर मन में
मिट जावे भय संकट सारा
झंडा ऊँचा रहे हमारा…
आओ प्यारे वीरों आओ
देश धर्म पर बलि-बलि जाओ
एक साथ सब मिल कर गाओ
प्यारा भारत देश हमारा
झण्डा ऊँचा रहे हमारा …
शान न इसकी जाने पाये
चाहे जान भले ही जाये
सत्य की विजयी कर दिखलाएं
तब होए प्रण पूर्ण हमारा – 2
झण्डा ऊँचा रहे हमारा …
श्यामलाल गुप्त ‘पार्षद’
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