कोरोना से बड़ा खतरा है, ग्लोबल वार्मिंग से आने वाला जल प्रलय
जल प्रलय आने के क़यास कई वर्षों से लगाये जा रहे हैं । इसपर अनेकों भविष्यवाणिया भी होती रहती है । उन भविष्यवाणियों की सच्चाई का तो नहीं पता ।लेकिन अब वैज्ञानिक भी यही दावा कर रहे हैं ।
हालही में ग्रीनलैंड में पिघलते बर्फ़ की चादर पर आयी रिपोर्ट में वैज्ञानिकों ने दावा किया कि ग्रीनलैण्ड में बर्फ इतनी तेजी से पिघल रही है।
जिससे कुछ ही सालों में महासागरों का जल स्तर 25 फीट तक बढ़ने का अनुमान है । ये रिपोर्ट कोपेनहेगन यूनिवर्सिटी और आर्कटिक यूनिवर्सिटी ऑफ नॉर्वे के संयुक्त रूप से स्टडी पर आधारित है ।
रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर ऐसे ही बर्फ़ पिघलते रहे तो विश्व में जो प्रलय आएगा उसके सामने कोरोना वायरस से आयी तबाही कुछ नहीं है ।
बर्फ के पिघलने का सबसे बड़ा कारण ग्लोबल वॉर्मिंग है जिसके कारण पृथ्वी का तापमान दिनों दिन बढ़ रहा है और लड़की पर जमी हुई प
दुनिया युद्ध में लगीं हुई है और प्रकृति अलग ही तांडव की तैयारी कर रही है
पूरे विश्व में आज इजरायल और फिलिस्तीन में छीड़े युद्ध की चर्चा हो रही है ।कई देश इसमें सक्रिय भूमिका भी निभा रहे है ।जिससे तीसरे विश्व युद्ध का खतरा दुनिया पर मंडरा ने लगा है ।
दुनिया जिस भूमि के लिए लड़ रही है । प्रकृति उसी भुमि को जल में डूबने को आतुर है। कोपेनहेगन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और इस रिसर्च को लीड करने वाले डॉ. निकल्स बोर्स ने कहा कि ग्रीनलैण्ड की बर्फ जिस तेजी के साथ पिघल रही जिससे समुंद्रीय जल स्तर बढ़ रहा है जो कई देशों को अपने अंदर समा लेगा । उन्होंंने कहा कि अभी उन्होंने केवल एक ही हिस्से पर रिसर्च की है । जबकि खतरा इससे कहीं ज्यादा बड़ा होने का अनुमान लगाया गया ।
इस रिसर्च में शामिल टॉप के वैज्ञानिक रिपडल और बोअर्स ने 1880 के बाद सेन्ट्रल-वेस्टर्न ग्रीनलैंड में मौजूद बर्फ की चादर के पिघलने को लेकर गहरा विश्लेषण किया है और उसकी तुलना संबंधित मॉडल सिमुलेशन से की है। रिसर्च के दौरान दोनों वैज्ञानिक इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि ग्रीनलैंड में बर्फ की चादर का हिस्सा काफी अस्थिर हो गया है ।काफी तेजी से पिघलने की वजह से अब यह नष्ट होने के कगार पर पहुंच गया है।
कितनी मोटी है ये बर्फ़ चादर
आपको बता दे कि विश्व में जितना भी बर्फ़ है उसका 98 % अंटार्कटिका और ग्रीनलैण्ड में है । ग्रीनलैण्ड में 17 लाख वर्ग किलोमीटर लंबी बर्फ की चादर है । तो अंटार्कटिका में 6,200 फीट मोटी बर्फ़ की चादर है । जबकी इसका क्षेत्रफल 1 करोड़ 42 लाख वर्ग किलोमीटर है । ये पूरी तरह बर्फ़ से ढका हुआ है । अगर यहाँ की बर्फ पिघली तो समुंद्र का जल स्तर 60 मीटर बढ़ सकता हैं ।
अमेरिका के नेशनल स्नो एंड आइस डेटा सेन्टर का कहना है कि वैसे तो अंटार्कटिका में जलवायू परिवर्तन का प्रभाव अभी उतना नहीं दिख रहा है लेकिन कुछ हिस्से इससे प्रभावित है । जैसे उत्तरी हिस्से के तापमान में 1950 के मुकाबले 1.5℃ की वृद्धि हुई है ।
जल स्तर बढ़ने से किन देशों में आ सकता है जल प्रलय
कोपेनहेगन यूनिवर्सिटी के रिपोर्ट के मुताबिक यदि इसी रफ्तार से बर्फ पिघली रही तो विश्व के कई बड़े शहर जल मग्न हो जायेगे । रिपोर्ट की माने तो शांघाई से लंदन तक हर शहर जल में डूब जायेगे ।
फ्लोरिडा, भारत और बांग्लादेश भी खतरे की टॉप लिस्ट में है। समुंद्रीय जल स्तर 2 मीटर बढ़ जाये तो बांग्लादेश और मालदीव जैसे देशों का अस्तित्व ही खत्म हो जाएगा । वैज्ञानिकों का अनुमान है कि 900 साल में ग्रीनलैंड की पूरी चादर पिघल जाएगी इस जल प्रलय को कोई नहीं रोक सकता है।
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