ब्लैक फंगस,
नई दिल्ली:- देशभर में कोरोना की दूसरी लहर ने कोहराम मचा रखा है। इस महामारी से देश लड़ ही रहा था की एक नई बीमारी ब्लैक फंगस ने भारत में पैर पसारना शुरू कर दिया है। खासतौर पर महाराष्ट्र, गुजरात और मध्य प्रदेश में यह तेजी से फैल रहा है। कई राज्यों ने इसे महामारी घोषित करते हुए इससे सावधान रहने की बात की।
ब्लैक फंगस के बारे में कहा जा रहा है कि ये आमतौर पर कोरोना के दौरान मरीजों के स्टेरॉयड के ज्यादा सेवन से होता है। हालांकि अब ये भी सामने आया है कि अस्पताल में ऑक्सीजन ले रहे मरीजों के उपकरण में स्टेराइल वॉटर का इस्तेमाल न होना या फिर उपकारणों का डिसइंफेक्ट न होना भी इस बीमारी की वजह बन रहा है।
अस्पतालों में जो ऑक्सीजन उपयोग में आती है, उसे मेडिकल ऑक्सीजन कहते है। ऑक्सीजन का यह रूप काफी शुद्ध होता है इसकी शुद्धता 99.5 प्रतिशत होती है। जो काफी सारी प्रक्रियाओं से होकर बनती है। शुद्धिकरण के बाद यह ऑक्सीजन तरल रूप में सिलेंडरों में स्टोर की जाती है, और अस्पताल तक पहुँचती है, वहाँ से यह गैस के रूप में मरीजों को मिलती है। मरीजों को दिए जाने के दौरान इसे नमीकरण की प्रक्रिया से गुजारा जाता है।
इसके लिये इसे स्टेराइल वॉटर से भरे कंटेनर में रखते है। गौर करें कि ये पानी स्टेराइल होना चाहिए, यानी किसी भी प्रकार की गंदगी से मुक्त, अस्पतालों के प्रोटोकॉल के तहत ये पानी लगातार बदला भी जाना चाहिए। अगर ये पानी साफ नहीं है या फिर नल से लिया गया हो, तो इसका बहुत खतरा है कि ब्लैक फंगस मरीज को अपनी गिरफ्त में ले लेंं |
चूंकि अभी अस्पतालों और निजी क्लिनिकों पर काफी बोझ है, ऐसे में इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि स्टाफ स्टेराइल पानी की बजाय सादा अशुद्ध पानी इस प्रक्रिया में लगा रहा हो। जो की ब्लैक फंगस के बढ़ने की एक मुख्य वजह मानी जा रही है, और इसका जिक्र भी किया जा रहा है। और इसके अलावा ब्लैक फंगस के फैलने की एक और वजह स्टेरॉयड का गैरजरूरी या जरूरत से ज्यादा सेवन भी माना जा रहा है।
बता दें कि कोरोना के इलाज के दौरान स्टेरॉयड का सेवन केवल और केवल डॉक्टरों की सलाह पर ही होना चाहिए। वही यह तय करेंगे की कब, कैसे और कितनी मात्रा में ये लेना चाहिए। बीमारी की शुरूआती अवस्था में स्टेरॉयड लेने पर इसका उल्टा असर होता है और कोरोना का प्रकोप तो कम नहीं होता, बल्कि स्टेरॉयड के कारण मरीजों की इम्युनिटी जरूर कम हो जाती है। यही वो समय है, जब ब्लैक फंगस फैलता है।
इसके अलावा उन लोगों में इसका खतरा रहता है जो डायबिटीज या कैंसर के मरीज हो। ब्लैक फंगस संक्रमण कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वालों को ही होता है। अब चूँकि कोरोना के हमले के कारण बहुत से लोग कमजोर हो चुके है तो ऐसे में ये इंफेक्शन भी बढ़ा है। जबकि पहले ये बीमारी किमोथेरेपी, अनियंत्रित शुगर, किसी भी तरह के ट्रांसप्लांट से गुजरने वाले लोगों और बुजुर्गों को ज्यादा प्रभावित करती थी।
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