काशी विद्यापीठ में आयोजित दो दिवसीय वेबिनार का समापन आज
महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में हिंदी पत्रकारिता दिवस के मौके पर आयोजित दो दिवसीय वेविनार के दूसरे दिन समापन सत्र में हिंदी लेखन की प्रवृत्ति पर गहन चर्चा के दौरान बतौर मुख्य अतिथि गुरु जम्मेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मीडिया अध्ययन संकाय के वरिष्ठ प्रोफेसर प्रो० मनोज दयाल ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि कोरोना काल में पत्रकारिता फिर से मिशन के रूप में सामने आ रही है । कोरोना काल में हमारे देश के कई पत्रकारों की जाने गयी है । पत्रकारों ने बिना डरे श्मसान और आई सी यु में जा कर हालत से लोगों को रूबरू कराया ।
उन्होंने कहा पत्रकारिता का व्यसायिककरण अवश्य हो गया है लेकिन पत्रकारों का जज्बा अब भी वही है । हालांकि हिंदी लेखन में बहुत सी नकारात्मक प्रवृत्ति आयी है लेकिन पत्रकारों का ऐसा साहस हिंदी लेखन के भविष्य के लिए आशा की किरण है । उनका कहना है कि इस मिशन को आंशिक न हो कर पूर्ण होना चाहिए । आगे बोलते हुए उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर मिलने वाले फेक न्यूज पत्रकारिता और देश के लिए नई महामारी है । पत्रकारिता एक बहुत ही संवेदनशील विषय है।
खोजी पत्रकारिता के लिए अश्लीलता का सहारा लेते पत्रकार ; प्रो विनोद कुमार पांडेय
वेबिनार में मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए गुजरात विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसंचार के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो विनोद कुमार पांडेय ने कहा कि वर्तमान में पत्रकार खोजी पत्रकारिता करने के लिए अश्लीलता पर भी उतर जा रहे हैं । मालिकों के दबाव में पत्रकारिता कर रहे हैं । पत्रकारिता की उभती नकारात्मक प्रवृत्ति पर ध्यान केंद्रित किया और टी वी चैनल के निष्पक्षता पर सवाल उठाया । उन्होंने बताया कि समाचार पत्रों में अब प्रूफ रीडर का पद समाप्त हो गया है । जिससे भाषा की शुद्धता बहुत ही प्रभावित हुई है ।
बलवती और समृद्ध हुई हिंदी पत्रकारिता ; प्रो राघवेंद्र मिश्रा
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप मौजूद वोकेशनल एजुकेशन के विभागाध्यक्ष और इंदिरा गांधी रा जनजातीय वि वि अमरकंटक के आचार्य प्रो राघवेंद्र मिश्रा ने कहा कि कोरोना काल में डॉक्टरों से ज्यादा पत्रकारों ने जाने गवाई । विश्व में पत्रकारों की हत्या के मानले में हिन्दी पत्रकारों का स्थान तीसरा है ।
उन्होंने कहा कि हिन्दी लेखन आज ड्राइविंग सीट पर है ।आज देश के टॉप दस समाचार पत्रों में पहले औऱ दूसरे स्थान के साथ ही पाँच हिंदी के अखबारों का कब्जा है । देश के दस टॉप समाचार चैनलों में आठ हिंदी के चैनल है । हिंदी का प्रभाव बहुत ही बड़ा है । हिंदी लेखन और अधिक समृद्ध और बलवती हुई है । उन्होंने बताया कि आज की पत्रकारिता मिशन और प्रोफेशन के बीच में फंसी हुई है । पत्रकारिता का भविष्य मल्टीमीडिया है । अस्सी फ़ीसदी युवा आज सूचना लेने के लिए सोशल मीडिया का प्रयोग कर रहे हैं ।
पूर्वांचल विवि के पत्रकारिता विभाग के आचार्य डॉ अवध बिहारी सिंह भी वेविनार में उपस्थित रहे और वेविनार के विषय ” हिंदी पत्रकारिता की प्रवृत्तिया अतीत से वर्तमान तक” पर अपना विचार रखा ।
प युगल किशोर शुक्ल को मिले सम्मान
अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन करते हुए डॉ अनु कुमार शर्मा ने ” युगल किशोर शुक्ल के नाम पर हिंदी पत्रकारिता में एक पुरस्कार आरम्भ करने और साथ ही उदंत मार्तंड की जन्म भूमि मगरतला गली कलकत्ता में एक स्मारक बनाने की मांग की ।” अतिथियों का स्वागत और विषय प्रवर्तन संगोष्ठी संयोजक डॉ विनोद कुमार सिंह ने किया । कायर्क्रम का संचालन आयोजन सचिव डॉ प्रदीप कुमार द्वारा किया गया । वेविनार की अध्यक्षता जननायक चंद्रशेखर वि वि के पूर्व कुलपति प्रो योगेंद्र सिंह ने की । कार्यक्रम के दौरान डॉ शिवजी सिंह ,डॉ नागेंद्र पाठक , डॉ रमेश कुमार सिंह , डॉ अजय कुमार सिंह , डॉ विनय सिंह उपस्थित रहे।