राम के पाप धोने वाली गोमती नदी में अब जलीय जीवों का रहना सम्भव नहीं
हिंदू धर्म में नदियों को बहुत ही पवित्र मानते हैं । नदियों में इतनी क्षमता होती है कि वो ईश्वर के भी पाप धुल सकती है । ऐसी ही एक कथा गोमती नदी के बारे में प्रचलित है । पुराणों में बताया गया है कि जब रावण के वध के बाद प्रभु श्री राम पर ब्रम्हहत्या का पाप लगा तो अपने पाप को धोने के लिए उन्होंने गुरु वशिष्ठ की आज्ञा से गोमती में स्नान किया और अपने पाप से मुक्ति पायी । श्रीराम ने जिस स्थान पर डुबकी लगाई थी । उस स्थान को आज धोपाप के नाम से जाना जाता हैं।यह स्थान उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले के लम्भुआ में है ।
ग्रहणे काशी, मकरे प्रयाग।
चैत्र नवमी अयोध्या, दशहरा धोपाप।।
अर्थात् अगर वर्ष भर में ग्रहण का स्नान काशी में, मकर संक्रान्ति स्नान प्रयाग में, चैत्र मास नवमी तिथि का स्नान अयोध्या में और ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष दशहरा तिथि का स्नान “धोपाप” में कर लिया जाय तो अन्य किसी जगह जाने की आवश्यकता ही नहीं है। बस इतने मात्र से ही मनुष्य को सीधे बैकुण्ठ की प्राप्ति होती है…!!
लेकिन वर्तमान में गोमती नदी इतनी प्रदूषित हो चुकी है कि उसमें जलीय जीवों का रह पाना तक सम्भव नहींं है । प्रदेश की राजधानी लखनऊ में नदी की हालत सबसे खराब है ।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश की 15 बड़ी नदियों में तीन नदियां बेहद प्रदूषित हैं। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इन्हें ‘सी’ श्रेणी में रखा है। जिसमें से तीसरी सबसे प्रदूषित नदी गोमती हैं ।
पहले स्थान पर हिण्डन और दूसरे पर काली नदी है । इन दोनों नदियों में ऑक्सीजन बिल्कुल नही है जबकि गोमती में मात्र 0.9 मिलीग्राम ऑक्सीजन मौजूद है।
बीबीएयू के पर्यावरण वैज्ञानिक प्रो वेंकटेशन दत्ता के अनुसार
गोमती नदी में गिर रहे 33 नालों ने मुसीबत बढ़ाई है। सीतापुर में आक्सीजन 8.7 मिलीग्राम है। शहर से बाहर गऊ घाट के पास भी आक्सीजन की मौजूदगी 7.1 मिलीग्राम है। लेकिन शहर में प्रवेश करते ही आक्सीजन घटने का क्रम शुरू हो जाता है।
गोमती बैराज तक पहुंचते ही आक्सीजन घटकर 0.9 मिलीग्राम हो जा रही है। सरकारी आकड़ों हर दिन 700 एमलएलडी पानी नालों से निकल रहा है। इसमें 400 एमएलडी एसटीपी से शोधित हो पा रहा है। लगभग 300 एमएलडी सीवर नदी में सीधे गिर रहा है। महज दो एसटीपी ही संचालित हैं। इसमें दौलतगंज की क्षमता 56 एमएलडी और भरवारा की क्षमता 345 एमएलडी है।
जब तक नालों को टैप करके एसटीपी से शोधित नहीं किया जाएगा तब तक गोमती को प्रदूषण मुक्त नहीं किया जा सकता। इसपर जिम्मेदार विभाग गंभीर नहीं हो पा रहे हैं। आने वाले समय में गोमती का हाल भी हिण्डन और काली नदी जैसा होना तय है।
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