हमारे देश का कलंक : वैश्यावृत्ति

ना कोई जाति ,ना कोई धर्म ना भावनायें बस एक पहचान : वैश्या

भारत, तीनों ओर से समुंद्र से घिरा एक विशाल राष्ट्र जो अपने गौरवशाली इतिहास , अपने ज्ञान और अपने पुरुषार्थ के बल पर पूरे विश्व में जाना जाता हैं । यहाँ की संस्कृति औऱ सभ्यता का विश्व अनुसरण करता है । भारत ने विश्व को नाना प्रकार के ज्ञान , विज्ञान और नैतिकता के आचरण को सिखाया ही नहीं बल्कि उसे चरित्रार्थ कर के दिखाया ।

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हमारे देश में लोग ईश्वर के मूर्त रुप को पूजते हैं । 33 करोड़ देवी देवताओं का वर्णन हमारे ग्रंथों में मिलता हैं । जिसमें ना जाने कितनी देवियां है । जी हाँ हमारे देश ने नारियों की मूर्तियाँ पूजी जाती है लेकिन सिर्फ मूर्तियाँ ।


कड़वा है लेकिन भारत का इतिहास और वर्तमान दोनों यही है । भारत के धर्म ग्रंथों में चाहे जो भी लिखा हो लेकिन सच यही है कि भारत एक पुरूष प्रधान देश है । यहाँ स्त्रियों को यौन दासी ही समझा जाता है ।


प्राचीन काल में भी भारत में वैश्यालायेे हुआ करती थीं ।जिसे बहुत से नामों से जाना जाता था ।अनेकों मजबूर स्त्रियां अपने जिस्म से लोगों का मनोरंजन करती थी । आज भी स्थिति वही है । आपकों बता दें एक आंकड़े के मुताबिक आज भारत में ऐसी स्त्रियों की संख्या लगभग ड़ेढ करोड़ है । ड़ेढ करोड़ तो शायद विश्व के कई देशों की पूरी जनसंख्या होगी ।

विश्व गुरु का गौरव प्राप्त करने वाला भारत, जिसने सम्पूर्ण विश्व को मानवता का पाठ सिखाया । जब उस भारत की स्थिति ये है तो पूरे विश्व की स्थिति क्या होंगी । ये केवल भारत का ही नहीं पूरी दुनियां का सच है कि नारियों को यौन मनोरंजन का साधन समझा जाता है । ना जाने कब से उनका शोषण हो रहा है और होता रहेगा ।

लेकिन हसी तो तब आती है जब लोग ये कहते हैं कि ज्यादातर औरते इस पेशे में खुद आती है । भला कौन सी औरत अपनी इच्छा से नरक से भी बत्तर जीवन चुनेगी । भला कौन सी लड़की अपने माँ बाप से जिद् करके इस पेशे में आएगी । अगर इन वैश्यों से पूछे तो पता चलता है कि गरीबी के कारण किसी के पिता ने उसे बेच दिया । तो किसी के प्रेमी ने उसको वैश्या बना दिया । किसी को नौकरी दिलाने के बहाने देश से बाहर बेचा गया तो किसी को देश में लाया गया । अगर इन वैश्यों के जीवन पर किताब लिखे तो महाभारत से मोटी किताब होगी ।


कुछ बुद्धिजीवी तो ये तक कहते हैं कि अगर वैश्यालय न हो तो बहुत सी स्त्रियां और उनके परिवार भूखे मर जायेंगे । उन गरीबों के हमदर्द बुद्धिजीवी लोगों के लिए मेरे पास कोई शब्द नहीं है । बस एक प्रश्न है कि वैश्यालय लड़कियों को रोजगार देने के लिए खोली जाती है या पुरूषों की भूख मिटाने के लिये ? और अगर ये रोजगार देने के लिए किये जाने वाला पूण्य कार्य है तो चोरी छिपे क्यों किया जाता है


लेकिन मैं इतना जरूर कहना चाहूंगी कि मैं वैश्याओं का दिल से सम्मान करती हूँ क्योंकि उनकी वजह से हमारे देश की लाखों करोड़ों लड़कियों सुरक्षित है । अगर वो ना होती तो आज लड़कियों का घर से बाहर निकाला मुमकिन ही ना होता ।


जो लोगों वैश्या को गाली समझते हैं उनसे मेरा एक प्रश्न है कि एक लड़की को आखिर वैश्या बनाता कौन है ?
वैश्या वृत्ति कोई आज की समस्या नहीं है । हमेशा से स्त्री को यौन वस्तु समझा जाता हैं उनपर यौन अत्यचार किया जाता रहा है । विडम्बना ये है की आज जब शिक्षा का स्तर इतना बढ़ चुका है । सभी देशों सभ्य समाज की स्थापना हो रही है फिर भी एक स्त्री के लिए लोगों की मानसिकता क्यों नहीं बदल रही हैं । आज भी क्यों स्त्रियों के यौन का व्यपार हो रहा है ? और कब तक होगा ?


और जो लोग ये सोचते है की मेरा इससे क्या लेना देना उनको ये नहीं भूला चाहिए कि बाजार में वहीं चीज बेचने के लिए लायी जाती है जिसकी मांग हो और मांग लोग ही करते हैं ।

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