फिल्मों ने बदली नशे को लेकर लोगों की सोच

अंतर्राष्ट्रीय नशा निरोधक दिवस आज

नशा एक ऐसी बीमारी जिसे मनुष्य खुद आमंत्रित करता है । शौख से आदत और आदत से लत बनकर नशा केवल उस मनुष्य को नही बल्कि उसके पूरे परिवार को अंदर ही अंदर खोखला बना देता है ।

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मैंने सुना था दोस्तों की संगत में या प्रेम से दूर होने पर, जीवन की कठिनाइयों से बचने के लिए या कहे क्षणिक सुख पाने के लिए , अपने अकेलेपन को मिटाने के लिए अक़्सर कमजोर मनोस्थिति वाले लोग नशे का सहारा लेते हैं ।

लेकिन आज जो मौहोल देखने को मिलता है वो इससे बहुत अलग है आज के युवा जिनपर देश का भविष्य टिका वो सिर्फ इसलिए नशा करते है ताकि समाज मे कूल दिख सके ।

पहले लोग छिप कर नशा करते थे क्योंकि वो जानते थे कि ये सही नहींं है । लेकिन अब लोग खुले आम नशा करते है ,और तो और शराब और सिगरेट पीते हुये अपने सोशल मीडिया पर फोटो पोस्ट करते है ।ताकि जो नशा नहींं करता वो भी इन्हें देखकर नशे के बारे में सोचे और करेंं ।

जिन बच्चों की उम्र अभी किताबों से दोस्ती करने की है । उन बच्चों के एक हाथ में फ़ोन दूसरे में सिगरेट देखने को मिलती है । जिन्हें हम देश का भविष्य कहते है वो खुद ही अपना लीवर गुर्दा किडनी खराब करके बैठे हैं । ऐसे बच्चों से आगे चलकर क्या अपेक्षा की जाएगी ।

सोचने का विषय ये है कि इसका कारण क्या है आखिर कब और कैसे समाज ने नशे को शिकार कर लिया । लोग इसे एक रॉयल लाइफ के सिम्बल की तरह देखने लगे । इसके बहुत से कारण हो सकते हैं लेकिन एक जो वजह मुझे समझ आती है वो है सिनेमा ।

फ़िल्म शुरू होने से पहले नशे को स्वास्थ्य के लिए हानिकारक जरूर बताते है लेकिन पूूरी फिल्म मेंं सिर्फ नशा ही नशा दिखते है ।

कही ना कही सिनेमा नशाख़ोरी को बढ़ाने में भूमिका निभाई है । सिनेमा को समाज को दर्पण कहते है । अगर हम गौर करे तो पता चलता है कि पहले की फिल्मों में केवल गुंडा या विलेन ही नशा करता था या नशा करने वालोंं की स्थिति बहुत खराब दिखाया जाता था ।लेकिन अब के फिल्मों में हीरो भी नशा करते हैं नशे वाले सीन को ऐसे फरमाया जाता है जैसे नशा कोई बुरी बात नहींं है ।

इससे स्वास्थ्य और समाज पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है । जबकी पहले की फिल्मों में नशे को एक बुराई के तौर पर दिखते थे । पहले की फिल्में बताती थी कि नशा समाज की कोई बुराई नहींं बल्कि सभी बुराइयों की जड़ है । जोकि सत्य है ।

नशे ने बहुत से घरों को उजाड़ दिया है । जो महिलाएं घरेलु हिसा की शिकार हैं उनमें ज्यादातर महिलाएं अपने पति के नशे के लत को इसका कारण मानती है । देश में जो रेप की घटनाएं होती है । उसका कारण भी ये नशा है । लोगों के आर्थिक विपन्नता का जिम्मेदार भी ये नशा ही है और स्वास्थ्य पर इसके बुरे असर को कौन नहींं जानता है।

जो नशा हमेंं चारों ओर से सिर्फ बर्बादी देता है उसे हम फैशन और कूलनेस समझते हैं । कितनी विचित्र मनोस्थिति है ये आज के युवा पीठी की । जब तक ये मनोस्थिति नहीं बदले गी तक तक देश से को नशा मुक्त करना असंभव है ।

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