डेल्टा वैरिएंट से सहमी दुनिया
दुनिया के कई देशों में कोरोना के आंकडोंं में फिर से उछाल आने लगा है । यूके , ब्राज़ील , अमेरिका जैसे देशों में डेल्टा वैरिएंट की के बढ़ते मामलों के कारण फिर से लॉकडाउन जैसी स्थिति बनने लगी हैं । एशिया में भी डेल्टा वैरिएंट आगमन हो चुका है । भारत के भी 8 राज्यों में डेल्टा वैरिएंट के केस मिले हैं । उत्तरप्रदेश में डेल्टा वैरिएंट से एक मरीज की मौत हो गयी है ।
डब्लू एच ओ समेत विश्व के सभी स्वास्थ्य संगठन इसे बड़े संकट के तौर पर देख रहे हैं । विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ने इसे वैरिएंट ऑफ कर्जन के रुप में वर्गीकृत किया है ।
डेल्टा वैरिएंट क्यों है अधिक घातक
दुनियाभर के कई स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने डेल्टा वैरिएंट्स में हुए म्यूटेशनो को अधिक खतरनाक माना है । डॉक्टरोंं का कहना है कि ये वैरिएंट हमारी प्रतिरक्षा तंत्र को आसानी से चकमा दे सकते है । इसके अलावा वायरस के स्पाइक प्रोटीन की संरचना में आ रहे बदलाव इन्हें इंसानों की कोशिकाओं में आसानी से प्रवेश करने योग्य बनाता है ।यही कारण है कि डेल्टा वैरिएंट और इसके नए स्वरूप को कोरोना के मूल स्ट्रेन से ज्यादा खतरनाक माना जा रहा है ।
कौन है डेल्टा वैरिएंट से सुरक्षित
इंडिया कॉन्सिल ऑफ मेडिकल रिसर्च और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी सहित देश के प्रमुख संस्थानों के शोधकर्ताओं ने डेल्टा वैरिएंट से सुरक्षा के पैमानोंं को जानने के लिए अध्ययन किया । तमान स्तर पर अध्ययन करने के बाद शोधकर्ताओं ने पाया कि कोविड से ठीक हो चुके मरीज जिन्हें वैक्सीन की एक या दोनों डोज लग चुकी है उन्हें डेल्टा वेरिएंट के म्युटेटेड स्वरूप से सुरक्षित माना जा सकता है । इसके अलावा शोधकर्ताओं ने कोविशिल्ड को भी वैरिएंट के खिलाफ असरदार माना ।
इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने अलग अगल स्थिति वाले प्रतिभागियों को शामिल किया ।इसमें वैक्सीन की एक डोज और दोनों डोज ले चुके तथा कोविड से ठीक हुए और वैक्सीन की एक या दोनों डोज ले चुके लोगों को शामिल किया गया । निष्कर्ष में शोधकर्ताओं में माना कि कोरोना से ठीक हो चुके लोगों जो वैक्सीन ले चुके हैं लोग अधिक सुरक्षित है और जिन्होंने अभी वैक्सीन नहीं लगवाया है उन्हें खतरा अधिक है ।
शोधकर्ताओं का कहना है कि डेल्टा वैरिएंट से सुरक्षित रहने के लिए कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करना बेहद जरूरी है । डबल मास्क और सामाजिक दूरी डेल्टा वैरिएंट से लड़ने में मददगार होगा । भारत में सितम्बर तक तीसरी लहर की आशंका से जा रही है ।