आतंकियों के टारगेट किलिंग से डरकर, घाटी से घर लौटने को मजबूर मजदूर
कश्मीर में बीते कुछ दिनों से आतंकी गतिविधियां तेज हो गयी हैं। कश्मीर वासियों का सुकून चैन फिर से छीन लिया गया है । आतंकवादियों के इन गतिविधियों को टारगेट किलिंग का नाम दिया गया है ।
आतंकी, हिंदुओं और गैर कश्मीरियों की पूरी जानकारी इकट्ठा कर फिर उन पर निशाना साध रहे हैं । बिहार के बांका के अरविंद कुमार शाह और उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के सगीर अहमद आतंकियों का निशाना बन चुके हैं । यह घटना बीते रविवार को हुए इससे पहले भी कई गैर कश्मीरी और हिंदुओं को निशाना बनाया जा चुका है। जिसमें कश्मीरी पंडित श्रीनगर के कैमिस्ट माखनलाल बिंदु सरकारी स्कूल की सिख प्रिंसिपल सुपिंदर कौर और टीचर दीपक चंद्र प्रमुख थे ।
दहशत का माहौल कश्मीर में इतना है कि मजदूर कश्मीर छोड़ कर वापस अपने घर को जाने के लिए मजबूर हैं, सैलानियों ने होटलों में अपनी बुकिंग रद्द करा दी है और बसों से मजदूर अपने अपने घरों की ओर रवाना हो रहे हैं | जम्मू-कश्मीर पथ परिवहन निगम ने यात्रियों की संख्या बढ़ते देख पंजाब के लिए अतिरिक्त बसों की सुविधा शुरू की हैं ।
सेना कर रही अपना श्रेष्ठ प्रदर्शन
आतंकवादियों की साजिशों को नाकाम करने के लिए भारतीय सेना अपना श्रेष्ठ प्रदर्शन कर रही है । सर्च ऑपरेशन पूरे कश्मीर में जोरों पर है ।
आईजी विजय कुमार ने मीडिया को बताया कि “आम नागरिकों पर हमले के बाद हमने अभियान चलाया है । पिछले 9 मुठभेड़ों में 13 आतंकी मारे गए यह अभियान तब तक जारी रहेगा जब तक टारगेट किलिंग का पूरी तरह सफाया नहीं हो जाता ।”
जम्मू कश्मीर के डीजीपी दिलबाग सिंह ने कहा है ” घाटी में टारगेट किलिंग रोकने के लिए कई मोर्चा काम किया जा रहा है । इसके परिणाम जल्दी सामने आएंगे । सीमा पार के सांप्रदायिक सद्भाव और भाईचारे के माहौल को बिगाड़ने वाले नापाक मंसूबों को कामयाब नहीं होने दिया जाएगा ।
क्या है सरकार की रणनीति
यू तो हमारी तत्कालिक सरकार अपनी गुप्त रणनीतियों के लिए जानी जाती है । फिर भी औपचारिक तौर पर जो रणनीति सामने आ रही है । वह यह है कि सीमा पार के हैंडलरो के नेटवर्क को तोड़ने के लिए पूरी घाटी में सुरक्षा बलों के जवान हाइब्रिड आतंकियों और उनके मददगार ऊपर प्रहार करेंगे।
खोज खोजकर देश विरोधी तत्वों को निकाला जाएगा सुरक्षा एजेंसी के सूत्रों ने बताया कि तय रणनीति के अनुसार पूरी घाटी में संदिग्ध पृष्टभूमि वाले पत्थरबाजों को ओजीडब्ल्यू और अपराधिक पृष्ठभूमि वाले लोगों को गिरफ्तार कर टारगेट किलिंग करने वालों में भय का माहौल पैदा किया जाएगा।
वही प्रतिबंधित जमात ए इस्लामी शरीयत और ठंडे पड़े बैठे अलगाववादी संगठनों की गतिविधियों पर पैनी नजर रखते हुए उन्हें किसी भी प्रकार की गतिविधियों में शामिल होने से रोका जाएगा। घाटी में सर्च ऑपरेशन तेज करते हुए पुराने शातिरों पीएसए लगाकर प्रदेश से बाहर की जेलों में भेजा जाएगा। ऐसा करने से उनके हैंडलरो का संपर्क कट जाएगा ।
विपक्ष का प्रहार
कश्मीर मुद्दे पर विपक्ष अपनी राजनीतिक रोटी सेकने से नहीं चूक रहा है। कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कश्मीर मुद्दे पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि ” मैंने पहले ही आगाह किया था कि अफगानिस्तान में तालिबान सरकार आने के बाद कश्मीर में असर दिखाई देगा । मैंने चिंता जाहिर की थी कि कश्मीर की खामोशी आने वाले तूफान का संकेत है।”
शिवसेना के सांसद संजय रावत ने कहा “जम्मू कश्मीर की हालत चिंताजनक है , बिहार के प्रवासियों , जम्मू कश्मीर के पंडितों और सिखों को निशाना बनाया जा रहा है। जब पाकिस्तान का जिक्र आता है तब आप सर्जिकल स्ट्राइक के बाद करते हैं । ऐसे में चीन के साथ भी यही होना चाहिए।”
इस समय बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी का बयान सुर्खियों में है । उन्होंने ट्विटर पर ट्वीट किया कि “कश्मीर में लगातार हमारे बिहारी भाइयों की हत्या की जा रही है। जिससे मन व्यथित है। अगर हालात में बदलाव नहीं हो पा रहे हैं , तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह जी आग्रह है कि आप कश्मीर को सुधारने की जिम्मेदारी हम बिहारियों पर छोड़ दीजिए अगर 15 दिन में सुधार नहीं दिया तो कहिएगा।”
घाटी में बिहार के मजदूरों की हत्या पर सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि “कश्मीर घाटी में बिहार के लोगों को जानबूझकर निशाना बनाया जा रहा है। आतंकवादियों के खिलाफ जम्मू कश्मीर प्रशासन को कड़ी कार्यवाही करनी पड़ेगी ।
मेघालय के तत्कालीन राज्यपाल और जम्मू कश्मीर के पूर्व गवर्नर सत्यपाल मलिक ने जम्मू कश्मीर प्रशासन पर निशाना साधते हुए कहा कि मेरे राज्यपाल रहते हुए कोई भी आतंकी श्रीनगर की 50 से 100 किलोमीटर की सीमा में प्रवेश नहीं कर सका ।
सौजन्य : अमर उजाला , बीबीसी