असीमित अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता

बेलगाम अभिव्यक्ति की आजादी कब तक

पूरे विश्व पटल के मानचित्र पर हिंदुस्तान इकलौता एक ऐसा देश होगा जहां के नागरिकों को हर प्रकार की स्वतंत्रता है। ‌ स्वतंत्र विचरण करने से लेकर स्वतंत्र बोलने तक, धर्म,शिक्षा अपनी संस्कृति को लेकर भारत का हर नागरिक स्वतंत्र है।

बात जब अपने विचारों, अपनी भावनाओं और संदेशों को अभिव्यक्त करने का हो तब यह स्वतंत्रता अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है। देश के प्रत्येक नागरिक को किसी भी मुद्दे पर अपने विचार रखने की पूर्ण आजादी है। सोशल मीडिया के आने से इसमें एक क्रांतिकारी परिवर्तन आया है।

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यह देश की विडंबना ही है कि हमारे देश का हर नागरिक अपने मौलिक अधिकार को तो याद रखता है लेकिन मौलिक कर्तव्य भूल जाता है। जिस देश ने आपको इतनी स्वतंत्रता दिया हो,जहां का संविधान आपको अधिकार दिया हो उस देश के प्रति आपका क्या कर्तव्य है? क्या आजादी का मतलब सिर्फ आपके पास ही सीमित है? इस देश के नागरिक होने के नाते उसके प्रति आपका कोई कर्तव्य नहीं? अगर आप अपने मौलिक अधिकार के लिए शीर्ष अदालत तक जा सकते हैं तो उसी अदालत के द्वारा दिए गए मौलिक कर्तव्य के प्रति भी आपकी उतनी ही जिम्मेदारी बनती है।

ऑडिटोरियम हॉल में तालियों की गड़गड़ाहट सुनने के लिए अपने देश,उसके गौरव और सम्मान का अपमान करना कहां की अभिव्यक्ति है? खुद को प्रसिद्ध करने के लिए देश के स्वतंत्रता सेनानियों,उन सभी वीर बलिदानियों,शहीदों के त्याग,बलिदान और शहादत का बार-बार अपमान करने वाले स्वयं को देशभक्त और राष्ट्रवादी बताते हैं। सोशल मीडिया पर वीर रस से ओतप्रोत 4 पंक्तियों की कविता शेयर कर देने वाले देश के महान राष्ट्रवादी खुद को भगत सिंह के ऊपर शक समझ लेते हैं।

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ताज्जुब होता है यह देख कर की समाज में स्वयं को देशभक्त बताने वाले शहीदों के अपमान पर मौन व्रत धारण कर लेते हैं। छोटी-छोटी बातों पर धरना प्रदर्शन करने वाले वही बुद्धिजीवी देश के अपमान पर खामोश हो जाते हैं। धर्म और संप्रदाय के नाम पर हिंसक हो जाने वाली भीड़ बात जब देश पर आती है तब चूहों की भांति दुबक जाती है। हाथ में तिरंगा झंडा लेकर व्हाट्सएप फेसबुक की डीपी को तीन रंग में रंग ले ना ही देश भक्ति नहीं है।

बार-बार भारत के मस्तक पर लांछन लगाने वाले आखिर कब तक अभिव्यक्ति की आजादी का दुरुपयोग करते रहेंगे? यह प्रश्न वास्तव में चिंताजनक है।आप की आजादी वहीं पर समाप्त हो जाती है जहां से किसी दूसरे की आजादी शुरू होती है। बेशक आप अपने विचार रखिए लेकिन विचार के नाम पर अपनी असाधारण सोच से किसी की भावना को ठेस पहुंचाने का आपको कोई हक नहीं है। अभिव्यक्ति के नाम पर कुछ भी कह देने की आजादी किसने दिया आपको? स्वतंत्रता सेनानियों के लिए ऐसे विचार को सबके समक्ष अभिव्यक्त करने का अधिकार किसने दिया आपको? यह देश आपकी जागीर नहीं है,सवा अरब हिंदुस्तानियों का रक्त खुला है इस हिंदुस्तान में जिसे आप विश्व पटल पर धूमिल करने में लगे हैं।

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आजाद भारत के आजाद नागरिकों से विनम्र निवेदन है कि अपने अधिकारों के लिए हाथ में पत्थर और पुलिस पर बोतल फेंकने की ताकत रखते हैं तो देश के लिए जो आपका कर्तव्य है उसका पालन करना आपकी महती जिम्मेदारी है। अगर आप देश के नागरिक हैं तो सिर्फ अधिकार लेना आपका काम नहीं बल्कि कर्तव्य निभाना भी आपका ही दायित्व है।

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