NFHS के सर्वे के अनुसार प्रजनन दर में भी आई कमी
जनसंख्या में लिंगानुपात को लेकर सकारात्मक तस्वीर सामने आई है। देश में पहली बार पुरुषो के तुलना में महिलाओं की आबादी में इजाफा हुआ है। नेशनल फैमिली एंड हेल्थ सर्वे (एनएफएचएस) के अनुसार देश में प्रति 1000 पुरुषो पर महिलाओं की संख्या 1020 हो गई है।
जबकि इससे पहले 1990 में भारत में प्रति हजार पुरुषो की तुलना में महिलाओं का अनुपात 927 था, इसके बाद 2005–06 में एनएफएचएस द्वारा किए गए सर्वे में पुरुषो व महिलाओं की संख्या बराबर पाई गई थी। परंतु जब 2015-16 में सर्वे किया गया तो महिलाओं की संख्या पुरुषो से कुछ कम पाई गई, इस सर्वे में 1000 पुरुषो पर महिलाओं की संख्या 991 थी। लेकिन इस बार यह आंकड़ा 1000-1020 तक पहुंच गया।
स्वास्थ मंत्रालय ने इसे विकसित देशों की ओर बढ़ते कदम का प्रतीक बताया है। इसे महिला सशक्तिकरण की दिशा में किए गए विभिन्न प्रयाशो का परिणाम माना जा रहा है। यही नही बल्कि अस्पतालों में प्रसव को लेकर जागरूकता भी बढ़ी है। सर्वेक्षण से पहले पांच साल में लगभग 89 प्रतिशत प्रसव अस्पतालो में हुए, जबकि इससे पहले यह संख्या लगभग 78 प्रतिशत थी।
इस सर्वे में प्रजनन दर को लेकर भी अच्छे संकेत मिले है।पहली बार प्रजनन दर रिप्लेसमेंट रेट से नीचे पहुंच गई। एनएफएचएस के इस सर्वे में प्रजनन दर 2.0 पाया गया है, जबकि इससे पहले यह दर 2.2 था।
बता दे कि 2.1 की प्रजनन दर को रिप्लेसमेंट रेट माना जाता है, किसी भी देश की जनसंख्या स्थिर बनाए रखने के लिए 2.1 की प्रजनन दर होनी आवश्यक है। प्रजनन दर रिप्लेसमेंट रेट से नीचे होने का अर्थ है कि आने वाले वर्षो में जनसंख्या में कमी देखने को मिलेगी। प्रजनन दर कम होना परिवार नियोजन को लेकर बढ़ती जागरूकता का प्रमाण है।
दो चरणों में पूरा किया गया सर्वे
एनएफएचएस का सर्वे दो चरणों में पूरा किया गया। पहला चरण 17 जून 2019 से 30 जनवरी 2020 के बीच व दूसरा चरण दो जनवरी 2020 से 30 अप्रैल 2021 के बीच सर्वे पूरा कर लिया गया। जिसमे 17 फील्ड एजेंसियों को जिम्मेदारी दी गई थी। देश के 707 जिलो के 6,36,700 घरों में सर्वे किया गया, जिनमे 7,24,115 महिलाओं और 1,01,840 पुरुषो से बात की गई।