महिलाओं का राजनीतिक सशक्तिकरण कितनी हुआ है ।
शासन में महिलाओं की भागीदारी: उत्तर प्रदेश का चुनाव पास है, सरकार और विपक्ष दोनों महिलाओं के मुद्दों पर आपने सामने है, कोई मिशन शक्ती तो प्रतिज्ञा रैली निकाला रहा है । महिलाओं को सशक्त करना सभी का लक्ष्य है । महिलाओं को पुरस्कृत किया जा रहा है उन्हें रोजगार के नए अवसर दिए जा रहे हैं ।
सरकार के दावे ,शासन में महिलाओं की भागीदारी
राज्य महिला सशक्तीकरण मिशन के तहत तमाम योजनाएं संचलित हो रही है । आपकी सखी , आशा ज्योति केन्द्रों का संचालन , रानी लक्ष्मीबाई महिला एवं बाल सम्मान कोष , बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओं योजना ,181 महिला हेल्पलाइन , राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम , निराश्रित महिला पेंशन योजना , पति की मृत्यु पर निराश्रित महिलाओं को सहायक अनुदान योजना , महिला सामाख्या कार्यक्रम , महिला संघ , नारी अदालत, नारी शिक्षा एवं संजीविनी केंद्र।
महिला स्वयं सहायता समूह, मुख्यमंत्री सुमंगला योजना, मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना, मुस्लिम महिलाओं को बिना महरम के हज जाने की सुविधा, घरौनी घर की महिला के नाम, सभी थानों में हेल्पलाइन डेस्क की स्थापना , महिलाओं को त्वरित न्याय दिलाने के लिए 218 नए फास्ट ट्रैक कोर्ट , 81 मजिस्ट्रेट स्तरीय न्यायालय और 81 अपर सत्र न्यायालय । इन योजनाओं के सहायता से महिला सशक्तिकरण का ग्राफ ऊपर चढ़ा है ।
राज्य में महिलाओं की केवल 11 फीसदी सियासी भागेदारी
शासन में महिलाओं की भागीदारी: राज्य की आधी आबादी महिलाएंं है । लेकिन राज्य के सियासत में उनकी भागीदारी मात्र 11 फीसदी है । वर्तमान में 44 महिलाएं विधायक है । यह स्थिति सिर्फ उत्तर प्रदेश की ही नहीं है । संसद और देश भर की विधानसभाओं में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 15% से भी कम है । वर्तमान में लोकसभा में 14 और राज्यसभा में 11.6 फ़ीसदी महिला सांसद हैं । यह स्थिति कतई संतोषजनक नहीं है ।
उत्तर प्रदेश शासन में महिलाओं की भागीदारी
2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में 42 महिलाएं जींती। उपचुनाव में मिली जीत के बाद यह संख्या बढ़कर 44 हो गया । जिसमें से भाजपा से 36 सपा, बसपा ,कांग्रेस से दो- दो और अपना दल से एक महिला विधायक है । विधान परिषद में कुल 3 महिला विधायक है ।जिसमें दो सपा और एक भाजपा से है । गौरतलब है कि स्थानीय स्वशासन में महिलाओं की भागीदारी 56% है । 75 में से 42 जिलों में जिला पंचायत अध्यक्ष महिलाएं हैं ।
महिलाओं की राजनीतिक जागरूकता का पता इस बात से लगाया जा सकता है कि वर्ष 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में महिलाओं ने पुरुषों से 4 फीसदी अधिक मतदान किया था । महिला मतदाता का आंकड़ा 63.30 प्रतिशत था । लेकिन आज भी महिला प्रतिनिधियों का चेहरा इतना कम है कि उन्हें उँगलियों पर गिना जा सकता है । इसका कारण यह है कि महिलाएं राजनीति में अपना भविष्य बनाने को अभी सहज महसूस नहीं करती है । राजनीति को आज भी पुरुषों का कार्य समझा जाता है ।
महिलाओं के सशक्तिकरण को दिखाने वाले इन सरकारी पोस्टरों में भी राजनीति क्षेत्र में आत्मनिर्भर महिला प्रतिनिधित्व का अभाव देखा जा सकता है ।
नारी शिक्षा की प्रथम समर्थक: सावित्री बाई फुले | Savitri Bai Phule the first supporter of women’s education
मुख्यमंत्री सुमंगला योजना
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