अपने स्थापना की 83 वर्षगांठ मना रहा सीआरपीएफ
नई दिल्ली : आज भारत का सबसे बड़ा केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल सीआरपीएफ अपना 83 वा स्थापना दिवस मना रहा है । केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल
अपने अदम्य साहस और समर्पण के लिए जाना जाता है । इसके स्थापना दिवस को देश में राइजिंग डे के रूप में मनाया जाता है ।
इसकी स्थापना 27 जुलाई 1939 में मध्यप्रदेश के नीमच में ब्रिटिश भारत में क्राउन प्रतिनिधि पुलिस के रूप में हुआ थी । नीमच जो कि ब्रिटिश सरकार के उत्तर भारत की एक छावनी थी । NIMACH का अर्थ है नॉर्थ इंडिया मिलिट्री एंड केवल्री हेडक्वार्टर ।
आज आजादी के बाद भारत के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने सीआरपीएफ नाम सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स कर दिया । 19 दिसम्बर सन 1950 में सीआरपीएफ अधिनियम आने के बाद इसे केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल नाम मिला , जो अभी तक अपरिवर्तनीय है । सीआरपीएफ में 203 बटेलियन है । इसे भारत का सबसे बड़ा अर्ध सैनिक बल माना जाता है ।
सीआरपीएफ के कंधों है बड़ी जिम्मेदारी
बाहर के दुश्मनों से देश को सुरक्षित रखने से ज्यादा कठिन है अंदर की आफतो से देश को सुरक्षित रखना है । सीआरपीएफ देश के बाहर और देश के अंदर , हर जरूरी मोर्चे पर तैनात रहती है । सीआरपीएफ का मुख्य काम है राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के पुलिस बल को सहायता देना , किसी भी आंतरिक आतंकी हमले और उग्रवादियों से निपटना , दंगे,आगजनी या अपरिहार परिस्थिति होने पर देश को उससे सुरक्षा देना के लिए देश के हर कोने में सीआरपीएफ की छावनी होती है । जो किसी भी संकटकारणी स्थिति आने पर अपनी सेवा देने के लिए उपस्थित हो जाती है ।
प्राकृतिक आपदाओं के आने पर सीआरपीएफ अहम भूमिका निभाती है । पर्यावरण हनन को रोकना और उस पर नियंत्रण करना भी इनका काम है । संवेदनशील चुनावी वुतो , हवाई अड्डे , दूरदर्शन केंद्र, पावरहाउस ,मुख्यमंत्री आवासों आदि महत्वपूर्ण स्थानों की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी इसी बल्कि कंधों पर होती है ।
सीआरपीएफ के इतिहास से जुड़े कुछ रोचक किस्से
देसी रियासतों के विलय में महत्वपूर्ण भूमिका
जब देशी रियासतों को भारतीय संघ में मिलाया जा रहा था तो कुछ देसी रियासतों जैसे जूनागढ़ और गुजरात के काठियावाड़ ने भारतीय संघ में मिलने से इनकार कर , सैनिक विद्रोह कर दिया । ऐसे में सीआरपीएफ की ही मदद से उन्हें भारतीय संघ में विलय कराया गया ।
चीन के हमले को किया था नाकाम
आजादी के तुरंत बाद जब पाकिस्तानी आतंकियों ने गुजरात, राजस्थान और सिंध की सीमा से घुसपैठ आरंभ कर दी तब घुसपैठ को रोकने के लिए सीआरपीएफ को वहां भेजा गया । पाकिस्तानी घुसपैठियों के हमले से बचाने के लिए सीआरपीएफ और जम्मू कश्मीर की सीमा पर भी तैनात किया गया था ।
जम्मू कश्मीर के लद्दाख के हॉट स्प्रिंग में 21 अक्टूबर 1959 को चीन ने हमला कर दिया । जिससे सीआरपीएफ ने अपने शौर्य और पराक्रम से कामयाब नहीं होने दिया । चीन और सीआरपीएफ के इस लड़ाई में सीआरपीएफ के 10 जवान शहीद हो गए जिनके याद में आज भी 21 अक्टूबर को पुलिस स्मृति दिवस के रुप में मनाया ।
आज के महत्वपूर्ण ट्वीट
सीआरपीएफ दिवस के मौके पर सीआरपीएफ ने ट्वीट कर लिखा ” जब कभी तारीख ने संग्राम लिखा है, हमने शौर्य से परिणाम लिखा है। “
हम 84वें #CRPFRaisingDay पर 83 वर्षों के गौरव, शौर्य, और बलिदान का उत्सव मना रहे हैं। हमारे ऊपर विश्वास के लिए हम राष्ट्र के आभारी हैं तथा प्रतिबद्धता से भारत माँ की सेवा करने की अपनी प्रतिज्ञा दोहराते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट कर जवानों और उनके परिजनों शुभकामनाएं दी । उन्होंने कहा सीआरपीएफ ने अदम्य साहस और उत्कृष्ट सेवा से अपनी एक अलग पहचान स्थापित की है । सुरक्षा संबंधित चुनौतियां हो या मानवीय चुनौतियां सीआरपीएफ की भूमिका सदैव सराहनीय रही है।