76 साल में पहली बार स्वदेशी तोपों ने तिरंगे को दी सलामी : स्वतंत्रता दिवस
नई दिल्ली : 76 वे स्वतंत्रता दिवस समारोह में देश के आत्मनिर्भरता की झलक दिखी । 76 साल में पहली बार लाल किले में स्वदेशी होवित्जर तोपों ने तिरंगे को सलामी दी ।
पिछले एक साल से देश में आजादी को एक महोत्सव के तौर पर मनाया जा रहा है । हर घर तिरंगा अभियान अब हर दिल तिरंगा में बदल चुका है । ऐसे में पहली बार ब्रिटेन की परम्परागत तोपों की जगह मेकिंग इंडिया तहत निर्मित स्वदेशी तोपों ने लाल किले को अपनी धमक से गौरवान्वित किया ।
इस पर रक्षा मंत्रालय ने कहा स्वदेशी तोपों का प्रयोग अपने देश में हथियार और गोला बारूद बनाने की क्षमता में हो रही वृद्धि का प्रमाण है ।
होवित्जर तोपों को एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन सिस्टम’ (ATAGS) के द्वारा रक्षा अनुसन्धान एवं विकास संगठन (DRDO) ने विकसित किया है । 155 ×52 कैलिबर इन तोपों की रेंज लगभग 48 किलोमीटर है । जल्दी ही ये तोपें भारतीय सेना का हिस्सा होंगी ।
एटीएजीएस परियोजना पर 2013 से काम चल रहा है । इसका उद्देश्य भारती सेना की पुरानी तोपों को रिटायर कर नए 155 एमएम आर्टिलरी गन (तोपों )को शामिल करना है । इन तोपों का सफल परीक्षण राजस्थान के पोखरण में हुआ ।
इसे कभी सरलता से ले जाया जा सकता है। ये वजन में अन्य के मुकाबले हल्की है । इसका निर्माण DRDO की आर्मामेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट इस्टैबलिशमेंट, टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड, महिंद्रा डिफेंस नेवल सिस्टम और भारत फोर्ज लिमिटेड ने मिलकर किया है ।
क्या है 21 तोपो की सलामी
21 तोपों से गोले दागकर सम्मान देना पश्चिमी देशों की की एक परम्परा है । जो भारत को ब्रिटेन से विरासत में मिली है । स्वतन्त्रता दिवस , गणतंत्र दिवस , ताथ अन्य अवसरों के साथ ही राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह में भी 21 तोपों की सलामी दी जाती है ।
आजादी से पहले 101 तोपों की सलामी सर्वोच्च मानी जाती थी । जिस शाही सलामी कहते थे । ये भारत के सम्राट यानी ब्रिटेन क्राउन को दिया जाता था । फिर 31 तोपों और 21 तोपों की सलामी होती थीं ।
आज भी जब प्रधानमंत्री के लाल किले पर झंडा फहराने के बाद आर्टिलरी रेजिमेंट से औपचारिक तौर पर उसके सम्मान में 21 तोपों की सलामी दी जाती है ।