उम्र कैद के कैदियों की 14 साल में रिहायी , अपराधी खा रहे मिठाई : बिलकिस बानो केस
गाँधीनगर: आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर गुजरात में राज्य सरकार के माफी नीति के तहत 15 अगस्त को कुछ कैदियों की सजा माफ कर उन्हें रिहा कर दिया गया । इसमें 11 ऐसे कैदी थे जिन्हें बलात्कार और नरसंहार मामले में आजीवन करावास मिला था । लेकिन गुजरात के दरियादिल सरकार ने उन्हें भी आजाद कर दिया । वैसे राज्यों को विधि से सजा माफ करने का अधिकार दिया गया है । लेकिन केवल साधरण मामलों मे ही है ।
ये मामला गुजरात दंगो से जुड़ा हुआ है 2002 में दाहोद जिले एक गांव से जान बच कर भाग रही एक गर्भवती महिला बिलकिस बानो के साथ सामूहिक दुष्कर्म होता है और उसके 3 साल की बेटी समेत परिवार के 7 लोगों की उसके आँखों के सामने हत्या कर दी जाती है । 2003 तक सबूतों के अभाव में पुलिस कार्रवाई नहीं करती है । फिर मानवाधिकार संगठन की मदद लेने पर बानो की जान से मारने धमकी मिलती है ।
तब जाकर उच्चतम न्यायालय इस के सीबीआई को देती है । सीबीआई 2008 में इस मामले में 11लोगों को अपराधी पाती है और उन्हें उम्र कैद दी जाती है । और इतने जघन्य अपराध के बाद भी उनकी सजा माफ हो जाती है । रिहा होने पर तिलक लगा लगाकर मिठाई खिलाकर उनका स्वागत किया जा रहा है ।
क्या ऐसा करना न्याय है उस बेटी के साथ या भारत की किसी भी बेटी के साथ ? आया यह राज्य की अधिकार का दुरूपयोग नही है ।
सरकार के इस कदम पर राजनीति शुरू हो गयी है विपक्ष नेता राहुल गांधी से लेकर असदुद्दीन ओवैशी तक इसपर ट्वीट कर सरकार के फैसले की निन्दा कर रहे हैं ।
राहुल गाँधी ने कहा ” 5 महीने की गर्भवती महिला से बलात्कार और उनकी 3 साल की बच्ची की हत्या करने वालों को ‘आज़ादी के अमृत महोत्सव’ के दौरान रिहा किया गया। नारी शक्ति की झूठी बातें करने वाले देश की महिलाओं को क्या संदेश दे रहे हैं? प्रधानमंत्री जी, पूरा देश आपकी कथनी और करनी में अंतर देख रहा है। “तो ओवैशी ने भी सरकार से इसे रुकने की अपील की।