लोलार्क छठ आज

दो साल बाद जुटी लोलार्क कुंड पर आस्था की भीड़

वाराणसी: काशी में संतान प्राप्ति की कामना के लिए लोलार्क कुंड पर गुरुवार से ही स्नानार्थियों की जुटान शुरू होने लगी है। भाद्रपद शुक्ल की षष्ठी तिथि को संतान प्राप्ति के लिए स्नान एवं दान का महत्व है। इसे लोलार्क षष्ठी भी कहते हैं। इस बार यह 2 सितंबर को है।इस दिन अस्सी घाट स्थित लोलार्क कुंड में स्नान का महत्व है।

लोलारकेश्वर महादेव मंदिर के महंत अभिषेक पांडे ने बताया कि दो साल कोरोना में सब कुछ बंद होने के कारण इस बार भीड़ पहले से और अधिक है। इस बार लगभग ढाई से तीन लाख श्रद्धालु यहां आए हैं। उन्होंने बताया कि गुरुवार की मंगला आरती के बाद स्नान शुरू होगा जो शुक्रवार दोपहर 1:00 बजे तक चलेगा।

संतति प्राप्ति की श्रद्धा लेकर मुंबई से आई पूजा का कहना है कि उनकी शादी के 5 साल हो गए हैं लेकिन उनकी कोई संतान नहीं है। अपनी बड़ी बहन के कहने पर यहां स्नान के लिए आई हैं। उनकी आस्था है कि उनका संकल्प जरूर पूरा होगा।

गाजीपुर से सुभावती देवी अपनी बेटी को लेकर आई हैं। वह गुरुवार सुबह 9:00 बजे से ही यहां बैठे हैं। उनका कहना है कि सूर्य देव उनकी मनोकामना अवश्य पूरा करेंगे।मुंबई दिल्ली कानपुर गाजीपुर तथा देश के कई जगहों से आने वाले श्रद्धालुओं की यही आस्था है कि उनका संकल्प पूरा होगा और उनकी गोद भरेगी।

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मंदिर के उप महंत अवशेष पांडे कुंड और मंदिर की महिमा बताते हुए कहा कि यहां स्नान करने की परंपरा लगभग एक ग्यारह सौ साल से भी पुरानी है। यह पूरे हिंदुस्तान का एकमात्र ऐसा कुंड है जहां संतान प्राप्ति एवं‌ कुष्ठ रोग के नाश के लिए प्रत्येक सप्ताह के रविवार,सोमवार और मंगल वार को स्नान होता है। लेकिन शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि का विशेष महत्व है।

स्नान करने वाले श्रद्धालु के शरीर पर वस्त्र और जो भी आभूषण होते हैं उन्हें यहीं पर दान करना होता है। इसी के साथ प्रसाद के रूप में चढ़ने वाले 5 फलों में से किसी एक फल का तब तक त्याग करना होता है जब तक मनोकामना न पूरी हो जाए।गंगा में आई बाढ़ के कारण लोलार्क कुंड में भी पानी भरा था। स्नान में सहूलियत के लिए मशीनों की सहायता से 72 घंटे से पानी निकाला जा रहा है।

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