खतरे की घंटी ; व्हाइट फंगस

ब्लैक फंगस के बाद अब व्हाइट फंगस देश में खतरे की घंटी बजा रहा है ।

कोरोना से जग लड़ रहे देश को पहले ब्लैक फंगस ने अपने चपेट में लिया ।अब व्हाइट फंगस ख़तरे की घंटी बजा रहा है । देश में कोरोना संक्रमण के मामले कुछ दिनों से कम देखने को मिल रहे है लेकिन मौत का अकड़ा अब भी चिंता जनक है । बीते24 घंटे में 2,40,766 नए मरीज मिले हैं जबकि 3,736 लोगों की जान गई हैं । ऐसे में देश के 14 राज्यों ने ब्लैक फंगस को भी महामारी घोषित कर दिया है ।

उत्तर प्रदेश में इससे 40 मरीजों की मौत हो चुकी है और संक्रमितों की संख्या 400 के पर जा चुकी है । हरियाणा में भी हालत गंभीर है 268 मरीज मिल चुके है । ब्लैक फंगस के इलाज में स्तेमाल होने वाले इंजेक्शन ओर दवाओं की भी पर्याप्त डोज हमारे पास उपलब्ध नहीं है ।


अब देश के कई जिलों में व्हाइट फंगस के मामले सामने आ रहे है जिसने लोगों को ओर भी अधिक परेशान कर दिया है । यूपी में सफेद फंगस मऊ के शाहादतपुरा निवासी 70 वर्षीय बुजुर्ग में सामने आया है । ये एक पोस्ट कोविड पेसेंट है इनका इलाज वाराणसी के एक निजी अस्पताल में चल रहा है ।

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क्या है व्हाइट फंगस

व्हाइट फंगस ब्लैक फंगस से बड़ा खतरा है । बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस के न्यूरोलॉजी विभाग के मुताबिक व्हाइट फंगस ब्लैक फंगस से ज्यादा बड़ा खतरा है । ये शरीर के सभी अंगों को नुकसान पहुँचता है । विशेषज्ञ बताते हैं कि व्हाइट फंगस को मेडिकल लैंग्वेज में कैंडिडा कहते हैं । इस फंगस में फेफड़े के साथ खून में घुसने की क्षमता होती है ।

खून में पहुचने के बाद इसे कैंडिडिमिया कहते हैं । जब ये फंगस फेफड़ों तक पहुँच जाता है तब इसे लग बॉल कहते हैं । सिटिसकैन करने पर फेफड़ों में ये गोल – गोल दिखता है ।
ये फंगस भी फेफड़े को ही पहले चपेट में लेता है । कोरोना वायरस के मरीजों के लिए ये ज्यादा खतरनाक है ।

मीडिया रिपोर्टों की माने तो ये फंगस खून , मुँह , के साथ किडनी ,अमाशय , गुप्तांग यहाँ तक कि मस्तिष्क को ही प्रभावित कर रहा है ।
दो निगेटिव लोगों में भी ये फंगस मिले हैं । नवजातों को भी ये नहीं छोड़ रहा है । एक्सपर्ट का मानना है कि जिन लोगों की रैपिड एंटीजन और आरटीपीसीआर नेगेटिव है उन्हें फंगस का टेस्ट जरूर कराना चाहिए.

क्या है लक्षण

इस फंगस में अनेक बीमारियों जैसे लक्षण दिखाई दे रहे हैं ।
• जब फंगस जोड़ों तक पहुँच जाता है तब आर्थराइटिस जैसी तकलीफ हो रही है । चलने फिरने में दिक्कत हो सकती है ।
• मस्तिष्क के चपेट में आने से सोचने समझने की क्षमता कम हो रही है । सिर दर्द या अचानक दौरा आ सकता है ।
• त्वचा पर छोटा और दर्द रहित गोला गोला दाने जैसा उभर सकता है ।
• जब ये फंगस फेफड़ में पहुँचता है तो साँस लेने के तकलीफ , सिर दर्द और बुखार हो सकता है ।

जांच का तरीका

व्हाइट फंगस के जाँच के लिए ये तरीके अपनाए जा सकते है ।
• चेस्ट एक्सरे

• ब्लड टेस्ट

• सीटी स्कैन, आदि

व्हाइट फंगस से इलाज और बचाव

व्हाइट फंगस के इलाज के लिए डॉक्टर एंटीफंगल मेडिसिन इस्तेमाल कर सकते हैं। आमतौर पर, एस्परगिलस के इलाज के लिए एंफोटेरिसिन-बी, वोरीकोनाजोल आदि ड्रग्स का इस्तेमाल किया जा सकता है। वहीं, व्हाइट फंगस का एकदम पुख्ता बचाव नहीं किया जा सकता, लेकिन फिर भी कुछ हद तक एहतियात बरती जा सकती है। जैसे-

• धूल-मिट्टी या गंदगी वाली जगह पर न जाना

• मास्क का प्रयोग करना

• इम्यूनसिस्टम को मजबूत करने वाले खाद्य पदार्थ खाना

• योगा व एक्सरसाइज

• लक्षण दिखने पर जल्द से जल्द डॉक्टर से सलाह ले ।

ब्लैक फंगस से अधिक खतरनाक व्हाइट फंगस

व्हाइट फंगस भी ब्लैक फंगस की तरह शरीर के कई भागों जैसे फेफड़े, त्वचा, दिमाग आदि पर हमला करता है। लेकिन जो कारण इसे ब्लैक फंगस यानी म्यूकॉरमायकोसिस से ज्यादा खतरनाक बनाता है।

वो है शरीर में इसके फैलने की तीव्रता और गंभीरता। यह ब्लैक फंगस के मुकाबले ज्यादा तेजी से फेफड़ों व शरीर के अन्य महत्वपूर्ण अंगों जैसे दिमाग, पाचन तंत्र, किडनी, नाखून व गुप्तांगों तक फैलता है और गंभीर क्षति पहुंचाता है। कोरोना मरीजों के फेफड़े पहले से ही कमजोर होते हैं और फिर इस संक्रमण के तेज और गंभीर हमले को झेल नहीं पाते। व्हाइट फंगस के खतरनाक होने की सबसे बड़ी वजह उसकी गति है

लगातार ब्लैक फंगस जिस तरीके से बड़ रहा है ओर इसके इंजेक्शन ओर दवाओं की कमी देखने को मिली रही है ऐसे में व्हाइट फंगस की आहट खतरे की घंटी से कम नहीं है ।

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