राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और भारतरत्न लालबहादुर शास्त्री की जयंती समारोह
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और भारतरत्न लालबहादुर शास्त्री के जयंती समारोह में भारत के सभी धर्मों ने एक साथ एक ही मंच पर आकर महात्मा गांधी के सर्वधर्म समभाव के सपने को सच किया ।

महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के गांधी अध्ययन पीठ में सर्वधर्म समभाव पर आयोजित समारोह में सभी धर्मों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया और अपने धर्म की विशेषता बताते हुए मानवता की एकता का संदेश दिया । सभी धर्मों के मूल में छिपा संदेश इंसानियत ही है । समारोह के जरिए राष्ट्रपिता के इस संदेश को लोगों तक पहुँचाया गया ।
कुलपति ने अंगवस्त्र तथा महापौर ने स्मृति चिन्ह देकर धर्म प्रतिनिधियों को सम्मानित किया । कायर्क्रम में मंच कला के छात्र – छात्राओं ने महात्मा गाँधी और लालबहादुर शास्त्री के स्मृति में भजन प्रस्तुत किये ।
डॉ योगेश उपाध्याय और डॉ सुनील कुमार विश्वकर्मा के संगीत और चित्रकारी की जुगलबंदी ने महात्मा गांधी और शास्त्री जी के यादों को जीवन्त कर दिया । डॉ सुनील ने बापू और शास्त्री जी की तस्वीर बनाई । डॉ योगेश उपाध्याय ने “राम राम रघुराई ” जिन्दगी का मजा लिए चलो ” चदरिया झीनी रे झीनी ” और लालबहादुर को समर्पित करके “लालों में लाल वो लालबहादुर ” गाकर अपनी मधुर आवाज़ से सबका दिल जीत लिया ।

समारोह के दौरान वाराणसी की माहपौर मृदुला जायसवाल और कुलसचिव डॉ संध्या पांडेय उपस्थित रही । कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्विद्यालय के कुलपति डॉ आनन्द कुमार त्यागी द्वारा किया गया ।
समारोह को संबंधित करते हुए उन्होंने कहा कि ‘ हमे अपने ग्रंथों को अपने जीवन में उतारना चाहिए । महात्मा गाँधी हमेशा कहते थे कि ज्ञान वहीं है जो कल्याणकारी हो और कल्याणकारी ज्ञान ही हमारे विश्व गुरू बनने की आधारशिला भी होनी चाहिए । ‘ कुलपति ने इस क्षेत्र काशी विद्यापीठ को पहल करने का आवाहन दिया । उन्होंने लाल बहादुर शास्त्री के साधारण जीवन और कठोर व्यक्तित्व को भी लोगों के सामने रखा ।
कुलपति द्वारा अंगवस्त्र तथा कुलसचिव द्वारा स्मृति चिन्ह भेट करके महापौर मृदुला जयसवाल का स्वागत किया गया। कुलसचिव डॉ संध्या पांडेय द्वारा “सबका मालिक एक है ” के संदेश के साथ धन्यवाद ज्ञापन करके समारोह का समापन किया गया । डॉ बंशीधर पांडेय ने कायर्क्रम का निर्देशन किया तथा डॉ राहुल गुप्ता मंच संचालक की भूमिका में थे ।