स्तनपान में शहर से आगे ग्रामीण महिलाएं
महिलाओं में स्तनपान से संबंधित जागरूकता बढ़ाने के लिए विश्व में 1 अगस्त से 7 अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जाता है । इस दौरान महिलाओं को स्तनपान से संबंधित जानकारियां और फायदे बताए जाते हैं । शिशु को स्तनपान कराना एक स्वभाविक और प्राकृतिक प्रक्रिया लेकिन बीते कुछ वर्षों इसमें कमी देखने को मिली हैं ।
इसलिए विश्व के सांझा प्रयास से सन 1992 से अगस्त के पहले हफ्ते को विश्व स्तनपान दिवस के रूप में मनाया जाने लगा । वर्ल्ड एलायंस फॉर ब्रेस्टफीडिंग एक्शन (WABA) द्वारा इसका आयोजन कराया जाता है । WABA स्थापना 1990 -91 में हुई थी । उस समय 70 देश इसके सदस्य थे। आज कुल 170 देश इसमें शामिल हैं ।
इसबार कायर्क्रम की थीम ” स्तनपान के लिए कदम बढ़ाएं ” रखी गयी है ।
इस आयोजन का उद्देश्य सभी शिशु को 6 महीने तक माँ का दूध मिले यह सुनिश्चित करना है । यूनिसेफ के एक रिपोर्ट के अनुसार विश्व के लगभग 60% बच्चों को पूरे 6 महीने स्तनपान नहीं मिल पाता है ।
उचित स्तनपान के फायदे
हम बचपन से सुनते आए हैं कि मां का दूध अमृत है वास्तव में यह सच है । मां का दूध पीने से बच्चे कई बीमारियों से मुक्त होते हैं । उनमें कुपोषण , मधुमेह कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी होने की संभावना समाप्त हो जाती है ।
जन्म के समय कराए जाने वाला पहला स्तनपान जिसे विज्ञान की भाषा में कोलोस्ट्रम कहते हैं ।बच्चों के लिए बहुत ही आवश्यक होता है । जन्म से लेकर चार-पांच दिन तक निकलने वाला पीला गाढ़ा दूध जिसमें विटामिन्स एंटीबॉडी की मात्रा अधिक होती है बच्चों के लिए बेहद फायदेमंद है । इससे बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है ।
मां के दूध में पानी की मात्रा अधिक होती है जिससे शिशु के शरीर में पानी की कमी नहीं होती है ।
- मां का दूध सीधे बच्चों के पेट में जाता है । जिसमें किसी रोगाणु के पनपने की संभावना नहीं होती है जो अनेक रोगों से बचाव में सहायक है ।
स्तनपान कराने से महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर की संभावना कम होती है ।डब्ल्यूएचओ के आंकड़ों के अनुसार स्तनपान में वृद्धि कराकर हर साल स्तन कैंसर से होने वाली 20,000 महिलाओं की मृत्यु को रोका जा सकता है ।
मां का दूध एक संपूर्ण और सुपाच्य आहार है जो कि बच्चों के बौद्धिक विकास और मां और शिशु के बीच भावनात्मक सम्बन्ध के लिए जरूरी है ।
मां के दूध में मौजूद डी एच ए और ए.ए मस्तिष्क की कोशिकाओं के विकास में सहायक होते हैं ।
क्या कहते हैं अकड़े
डब्ल्यूएचओ के अनुसार सभी बच्चों को 6 महीने तक मां के दूध पीने का अधिकार है ।आंकड़ों के अनुसार भारत में मात्र 23% महिलाएं शिशु के जन्म के 1 घंटे बाद उसे स्तनपान करा पाती है उत्तर प्रदेश में यह आंकड़ा मात्र 7.2% का है । स्तनपान के मामले में उत्तर प्रदेश भारत का 28 वा राज्य है ।
उत्तर प्रदेश की ग्रामीण महिलाएं स्तनपान कराने में शहरी महिलाओं से आगे है । राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में शहरी इलाकों में स्तनपान कराने की दर 94.4% और ग्रामीण इलाकों में 94.8 फीसदी है । प्रदेश में 5 साल पहले कुल स्तनपान की दर 95 75% थी जो अब घटकर 94.60% आ गयी हैं ।
इस घटते अकड़े की वजह से बच्चों में कुपोषण देखने को मिल रहा है । डब्ल्यूएचओ के 2016 के सर्वे के अनुसार दुनिया के 41 मिलियन बच्चे मोटापे का शिकार हैं जबकि 5 साल से कम उम्र के 155 मिलियन बच्चे अल्पविकसित होने की सम्भावना है । उचित स्तनपान न कर पाना इसके लिए काफी हद तक जिम्मेदार है ।