जातिवाद और अन्तरजातीय विवाह

जातिवाद एक अभिश्राप

हम जिस देश में रहते हैं उसे विविधताओं का देश कहते हैं । बहुत सी प्रकृति भिन्नताएं हमारे देश को सुंदर और समृद्धि बनाती है । किंतु हमारे देश का दुर्भाग्य यह है कि यहाँ ना सिर्फ भौगोलिक भिन्नता है अपितु हमारे यहाँ मनुष्यों में भी भिन्नता विद्यमान है । जिसे जाति कहते है ।

Screenshot 20210614 175251 Google

जिसका निर्धारण मनुष्य के जन्म के समय होता है । यहाँ प्रत्येक जाति के अपने कुछ नियम होते हैं कुछ विशेषताए होती है जो उसे दूसरों से अगल करती है । सच्चाई ये है कि आदि काल में हमारे मनीषियों ने कर्म कर आधर पर मनुष्यों को वर्गीकृत किया था जोकि उस समय के राजतंत्रात्मक व्यवस्था के लिए जरूरी भी था । उस समय हिन्दू समाज में चार वर्ग थे । ब्राम्हण , क्षत्रिय , वैश्य और शुद्र । यही वर्ग मिलकर समाज को चलते थे ।

ब्राम्हणों का सम्मान सबसे अधिक था बुद्धि संबंधित सारे कार्य इन्हीं के जिम्मे थे । बाहुबली क्षत्रियों के हाथ में तो सत्ता ही थी और वैश्य जन कृषि और व्यापार करते थे अब बचे शुद्र जन उनके जीवन में कल भी अशुद्धता थी आज भी है । युग बदल गया , परिस्थिति बदल गयी , प्रकृति बदल गयी अब भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है ।

भारत निरन्तर विकास का रहा है ऐसे में अब भारतीय समाज में भी परिवर्तन आये हैं अब वर्ण व्यवस्था जाति व्यवस्था बन चुकी है । और इसका कार्य समाज को एक जुट कर के सुचारू रूप से चलाना नहीं बल्कि समाज में विद्रोह पैदा करना बन चुका है। अब लोग अपने कर्म की श्रेष्ठता को नहीं बल्कि जन्म की महानता की सिद्ध करने में लगे हैं । जिसे जातिवाद कहते हैं ।

लोग देश की उन्नति और सम्मान से पहले अपनी जाति के उत्थान के बारे में सोचते हैं । अपने जाति को बड़ा बताने के लिए हिंसा पर उतर आते हैं । अपने ही देश के लोगों पर हमला करते हैं जिस देश को माँ कहते हैं उसी को जला देते हैं । हर दिन दंगे की खबरें अखबारों में मिलती है । जाति के लिए लोग अपना ईमान तक बेच देते हैं । यहाँ तक कि मतदान करते समय भी देश के हित से पहले जाति को रखते हैं । और अपनी जाति को देश की सत्ता में पहुँचने के लिये कुछ भी कर गुजरते हैं ।

वर्तमान में भारत में 6743 जातियां है उपजातियों की बात छोड़ दीजिए । और सभी जातियों का वर्गीकरण जन्म से होता है कर्म से नहीं । मुख्य प्रश्न ये है कि वेद और विज्ञान दोनों मानते है कि प्रत्येक मनुष्य समान है (केवल कुछ क्षमताओं को छोड़ दे तो ) फिर मनुष्यों को ऐसे जन्म के आधार पर बाँटना कहा तक उचित है । पर्यावरण में उपस्थित सभी जीवों की जाति उनके गुणों के पर बाटी जाती है । मनुष्य सबसे उच्च कोटि का जीव है तो फिर इसके वर्गीकरण का पैमाना सबसे निम्म क्यों ?


आज हम ऐसे समाज में है जहाँ किसी भी काम के लिए किसी जाति विशेष का होना अनिवार्य नहीं (केवल धार्मिक कार्यों को छोड़ कर ) आज शुद्र भी अधिकारी हो सकता है और ब्राम्हण नौकर । क्योंकि हम लोकतंत्र में है जहाँ योग्यता के आधार पर अवसर मिलता है । लेकिन सच तो ये है कि ये सिर्फ कहने में अच्छा लगता है । हमारे संविधान ने भले भी अनुच्छेद 15 और 17 में समानता को स्वीकार किया है लेकिन समाज ने नहीं।

समाज के ना स्वीकारने का एक बड़ा कारण भारत की राजनीति भी है जो जाति और आरक्षण के नाम पर चलती है । एक सच ये भी है कि जिस देश का संविधान समानता का पुजारी है । उसी देश में आज भी सभी फ़ार्मों में जाति पूछी जाती हैं । यहाँ जाति को कानूनी तौर पर इतना महत्व दिया जाता है जिसे देखकर ऐसा लगता है कि मानो संविधान के अनुच्छेद उपहास के लिए हो ।

भारत में जातिवाद इतनी अंदर तक घुसा हुआ है कि उसे बाहर निकालना इतना आसान नहीं है बहुत से महान पुरुषों ने अपना पूरा जीवन भारत से छुआछूत ऊंच-नीच की भावना को समाप्त करने में बिता दिया पर आज भी भारत की वास्तविकता यही है कि जातिवाद भारत की आत्मा में विद्यमान है ।

अंतरजातीय विवाह ही उत्तम उपाय

। मुद्दा यह नहीं है भारत में जातिवाद कितनी गहराई तक है चर्चा इस विषय पर होनी चाहिए कि जातिवाद के उन्मूलन का रास्ता क्या होगा। जातिवाद को खत्म करने का सबसे उत्तम उपाय है अंतरजातीय विवाह यदि दो भिन्न-भिन्न जातियों में विवाह संपन्न होने लगे तो दोनों जातियों ने समानता आएगी वास्तव में उन दोनों जातियों का प्रभाव समाप्त होगा और मानवजाति के साथ ही देश का भी उत्थान होगा ।

अंतरजातीय विवाह को जातिवाद को खत्म करने के लिए एकमात्र उपाय इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि अंतरजातीय विवाह से ही जातिवाद पूर्णतः नष्ट हो सकता है हमारे समाज में बहुत सालों से एक जाति को उठाकर दूसरे जाति को गिराकर जातियों में समानता लाने की कोशिश की जा रही है किंतु इसका सफल परिणाम आज तक देखने को नहीं मिला है ।जबकि इससे स्थिति और भयावह ही हुई है किंतु अब जातिवाद को मूल से खत्म करने का समय आ चुका है जो भिन्न -भिन्न जातियों के आपसे में मिलन से ही संभव हो सकता है । जिसके लिए विवाह से पवित्र सम्बंध और कोई नहीं ।

इसे भी पढिए…… सडक पर बहता नाला देख भड़के विधायक

Table of Contents

Scroll to Top