एक्साइज नीति पर एलजी और दिल्ली सरकार आमने सामने
दिल्ली केंद्र,उपराज्यपाल और दिल्ली सरकार की टकराहट कोई नई बात नहीं है।अब एक बार फिर से एलजी और केजरीवाल में ठन गई है और इसी के साथ राजनीतिक हलचल तेज हो गई है।
केजरीवाल सरकार की नई एक्साइज नीति पर उपराज्यपाल की तरफ से सीबीआई जांच की मांग की गई तो फिर से बीजेपी और आम आदमी पार्टी में जबरदस्त सियासी लड़ाई शुरू हो गई। एक के बाद एक कई बयानों ने सियासत में गर्माहट ला दिया। अपनी सरकार पर लगे इस आरोपों का खंडन करते हुए सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि “हम भगत सिंह के औलाद हैं किसी से डरते नहीं।” इस पर पलटवार करते हुए बीजेपी सांसद गौतम गंभीर ने कहा कि “वह भगत सिंह हो ही नहीं सकते अब यह ठेके वालों की सरकार है।”
क्या है पूरा मामला
दरअसल यह पूरा मामला नई आबकारी नीति और शराब माफियाओं से जुड़ा हुआ है। नवंबर 2021 में दिल्ली में जब नई आबकारी नीति लागू हुई तब जमकर इसका विरोध किया गया,लेकिन दिल्ली सरकार पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा। अब इसी नीति को लेकर आप की सरकार घेरे में है। आरोप यह है कि इस नीति से सीधे तौर पर लाइसेंस धारी शराब माफियाओं की फीस को माफ कर दिया गया।
सूत्रों की मानें तो 14 जुलाई को दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार ने आबकारी नीति में खामियों के बारे में मुख्यमंत्री और एलजी को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। इस रिपोर्ट में सीधी तौर पर डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को कटघरे में खड़ा किया गया है। ्् मुख्य सचिव के इस रिपोर्ट में आरोप यह है कि शराब माफियाओं को 144 करोड़ की फीस माफ कर दी गई है। इन आरोपों की जांच करने के लिए उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने सीबीआई जांच की मांग की है।
केजरीवाल अपने डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को सीबीआई की जांच से सुरक्षित कर पाते हैं या नहीं यह तो आने वाले दिनों में ही पता चलेगा लेकिन जिस तरह से सियासत की लड़ाई इतिहास के क्रांतिकारियों तक पहुंची है यह सोचने वाली बात है।