वायु प्रदूषण कोरोना को फैलाने में सहायक
कोरोना और प्रदूषण के संबंध को लेकर किये गये अध्ययन में माना गया कि जिन जगहों वायु अधिक प्रदूषित है वहा कोरोना के मामले अधिक सामने आये और मृत्यु दर भी कम प्रदूषित जगहों की अपेक्षा अधिक रहा । अध्ययन में सभी राज्यों में सांख्यकीय विश्लेषण के दौरान कोविड 19 पीएम 2.5 में संबंध बताया गया । दावा किया गया कि पीएम 2.5 सांद्रता और कोरोना से हुए मौत के बीच सीधा संबंध( कोरेलेश 0.61 ) मिला है ।
इस अध्ययन के लिए सभी राज्यों से 16 जिलों को चुना गया । इसमें मुंबई और पूर्णे भी शामिल थे । अध्ययन देश के चार संस्थानों द्वारा भुनेश्वर स्थित उत्कल यूनिवर्सिटी , पूर्णे स्थित आईआईटीएम , राउलकेला स्थित एनआईटी और आईआईटी भुनेश्वर किया गया । इसको आंशिक रूप से भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा वित्त पोषित किया गया था।
तीन प्रकार से जुटाए गए डेटा
- नेशनल इमिशन इवेन्ट्री वर्ष 2019 की पीएम 2.5 की सूची एकत्र की । जिसे वैज्ञानिकों ने विकसित किया ।
- भारत सरकार की वेबसाइट से 5 नवंबर2020 तक के कोरोना और उससे संबंधित मौत का व्यवरा लिया गया ।
- देश में 16 स्टेशनों से एयर क्विलिटी इंडेक्स डेटा एकत्र किया गया ।
पूर्णे और महाराष्ट्र की वायु गुणवत्ता सबसे खराब
अध्ययन में शामिल 16 शहरों में मुंबई और पूर्णे की वायु गुणवत्ता सबसे खराब रही । जब मुम्बई में वायु गुणवत्ता सबसे खराब थी उन दिनों में वहाँ 2.64 लाख केस सामने आये और 10445 मौतें हुई जो देश मे सबसे अधिक थी । वहीं पूर्णे में 3. 38 लाख मामले सामने आये और 7060 मौतें दर्ज हुई ।