कोवैक्सीन : कोरोना के अल्फा – डेल्टा पर भी भारी ।

कोरोना से मुकाबले में कोवैक्सीन का लोहा अमेरिका ने भी माना

कोरोना की तीसरी लहर आ चुकी है । विशेषज्ञों द्वारा कोरोना के डेल्टा वैरिएंट को बहुत खतरनाक माना जा रहा है इसके फैलने की गति भी बहुत तीव्र है लेकिन उससे भी तेज भारत मेंं टीकाकरण की रफ्तार है । सरकार तीसरी लहर से बचने के लिए पूरी कोशिश कर रही है । सबकी उम्मीदे टीके पर टिकी है ।

बहुत लोगों के मन में ये प्रश्न है कि क्या कोरोना के नए रूप से पुराना टीका हमे बचा पायेगा ?

तो मैं आपको बताना चाहूँगी कि भारत बायोटेक द्वारा बनाये गये कोरोना रोधी टीके का लोहा अमेरिका ने भी मान लिया है । अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (एनआईएच ) ने पाया को कोवैक्सीन से शरीर मेंं बना एंटीबॉडीज कोरोना के अल्फा और डेल्टा वेरिएंट से मुकाबला करने में सक्षम है ।

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एनआईएच ने बताया कि कोवैक्सीन लेने वाले लोगों के खून के सीरम के अध्ययन से पता चलता है कि इस वैक्सीन से जो एंटीबॉडीज बनती है वो ब्रिटेन में सबसे पहले पाये गए कोरोना के B 1.1.7 ( अल्फा )और B 1.617 (डेल्टा) वैरिएंट्स से लड़ने में कारगर है ।

बता दे कि अमेरिका के इंफेक्शन डीजीज एक्सपर्ट डॉ एंथनी फउजी कई बार कोवैक्सीन की तारीफ कर चुके है । उन्होंने बताया कि भारत में बनी कोवैक्सीन कोरोना के 617 वैरिएंट्स से लड़ने में सक्षम है ।

इंडियन कॉन्सिल ऑफ मेडिकल रिसर्च तथा भारत बायोटेक द्वारा निर्मित कोवैक्सीन को डेड कोरोना वायरस से बनाया गया है ।जो शरीर में इस वायरस से लड़ने के लिए पर्याप्त एंटीबॉडीज बनाता है । कोवैक्सीन के दूसरे चरण के ट्रायल के मुताबिक ये टीका पूर्णतः सुरक्षित है ।

हालांकि अंतिम नतीजों के अनुसार यह वैक्सीन सिम्पटोमैटिक मामले में 78 फीसदी और असिम्पटोमैटिक मामले में 70 फीसदी असरदार है । कोरोना के गंभीर मामलों में भी कोवैक्सीन कारगर साबित हुई है ।

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