करहल से चुनावी मैदान में उतरे पूर्व: मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ,

करहल विधानसभा सीट , सपा का पुराना गढ़

करहल : उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मैनपुरी के करहल विधानसभा क्षेत्र से  अपना नामांकन दाखिल कर दिया है । ये पहला ऐसा चुनाव है जिसमें अखिलेश यादव सीधे मैदान में उतर रहे हैं । सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अपने विजय रथ से नामांकन स्थल पर पहुँच । कार्यकर्ताओं में पुष्पवर्षा से स्वगत किया ।

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हिन्दुतान

करहल सीट क्यों है खास


मैनपुरी लोकसभा के करहल विधानसभा सीट से सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष का नामांकन सभी के लिए आश्चर्यजनक है । करहल सीट सपा का गढ़ मानी जाती है यह मुलायम सिंह यादव के पैतृक गांव सैफई से मात्र 400 किलोमीटर की दूरी पर है ।

यह क्षेत्र  मुलायम सिंह यादव उर्फ नेताजी के राजनीतिक गुरु नत्थू सिंह का चुनावी मैदान रहा है । वह यहाँ 1969 में भारतीय क्रांति दल और 1974 में जनता पार्टी से विधायक रहे ।

पिछले तीस सालों में सपा इस सीट पर केवल एक बार चुनाव हारी है । 1991और 1993 के विधानसभा चुनावों में करहल सपा विधायक बाबूराम का क्षेत्र था । 1996 में यहाँ सोबरन सिंह भाजपा से विधायक बने।फिर  सोबरन सिंह सपा में शामिल हो गए । 2002 से 2012 तक सोबरन सिंह सपा से विधायक रहे  ।

वर्तमान में करहल विधानसभा सीट में कुल मतदाताओं की संख्या 371261 है  जिसमें पुरुस मतदाता 201394 और महिला मतदाता 169851 है ।

यहाँ का जाति समीकरण भी सपा के लिए फायदेमंद है । यहाँ के करीब साढ़े तीन लाख मतदाता में से डेढ़ लाख मतदाता यादव है । मुस्लिम मतदाताओं की संख्या भी अच्छी है ।इसके अलावा शाक्य , बाम्हण , ठाकुर , लोधी और एससी भी परिणाम निर्धारण में महत्वपूर्ण है ।

पृथ्वीराज चौहान से संबंधित है करहल

कहते हैं कि करहल के मोटामल मंदिर का निर्माण पृथ्वीराज चौहान ने अपने सेनानायक मोटामल याद में करवाया था । पृथ्वीराज चौहान कन्नौज के राजा जयचंद की पुत्री संयोगिता से प्रेम करते थे । जयचंद ने संयोगिता का स्वयंवर आयोजित करवाया जिसमें पृथ्वीराज चौहान को निमंत्रण नहीं दिया । जिससे पृथ्वीराज चौहान संयोगिता को  अपने साथ दिल्ली ले गए। इसके बाद जयचंद पृथ्वीराज चौहान के सेनापति मोटामल के बीच भीषण युद्ध हुआ जिसमें मोटामल वीरगति को प्राप्त हो गए ।

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