अपने साहसिक, निर्णायक एवं रणनीतिक फैसलों के लिए प्रसिद्ध थे पूर्व थल सेनाध्यक्ष एवं सीडीएस जनरल बिपिन रावत
यूं तो सभी जानते हैं कि जीवन का प्रथम सत्य मृत्यु है लेकिन फिर भी कुछ लोगों का जाना इतना पीड़ादायक होता है कि शब्द भी चिखने लगते हैं। जब बात किसी देश के कुशल एवं सशक्त योद्धा की अंतिम विदाई की हो तो हर गला रूआंसा हो जाता है। देश के प्रति समर्पण का भाव और वतन की हिफाजत के लिए हिमालय से भी अटल जज्बा, जिसके बुलंद हौसलों के आगे दुश्मन के चारों खाने चित हो जाते हैं उस महान योद्धा के अतुलनीय योगदान तथा उसके शौर्य एवं शहादत को देश सदैव याद रखेगा।
तमिलनाडु के नीलगिरी जिले के कन्नूर में हेलीकॉप्टर हादसे में देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडिएस) जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी समेत 13 सैन्य अफसरों-कर्मियों का निधन राष्ट्र के लिए एक बड़ा आघात है। भारत के सैन्य तंत्र को मजबूती एवं आकार देने वाले, शत्रुओं के हर हमले का जवाब निडरता से देने वाले,हर चुनौती के समंदर को पार करने वाले जनरल रावत का इस तरह जाना मतलब राष्ट्र को अपना शूरवीर सैनिक एवं श्रेष्ठ सुरक्षा रणनीतिकार को खोना है।
बता दें कि जनरल बिपिन रावत,उनकी पत्नी मधुलिका रावत तमिलनाडु के वेलिंगटन स्थित सेना स्टाफ कॉलेज के एक समारोह में हिस्सा लेने के लिए दिल्ली से वायुसेना के विशेष विमान से कोयंबटूर के पास स्थित सुलुर आर्मी बेस पहुंचे थे।सुलूर बेस से वायु सेना के जिस एमआई-17वी5 हेलीकॉप्टर में जनरल रावत के साथ उनकी पत्नी मधुलिका ,स्टॉप अफसर ब्रिगेडियर एलएस लिड्डर,लेफ्टिनेंट कर्नल हरजिंदर सिंह और उनके पांच सुरक्षाकर्मी सवार थे वो हेलीकॉप्टर बुधवार दोपहर करीब 12:30 बजे निलगिरी जिले में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। हादसे में एकमात्र जीवित बचे गंभीर रूप से घायल ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह का तमिलनाडु के वेलिंगटन स्थित सैन्य अस्पताल में इलाज चल रहा है।
लेफ्टिनेंट जनरल एलएस रावत(सेवानिवृत्त) के घर 16 मार्च 1958(उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल) जन्मा एक बालक हिंदुस्तान के सैन्य ताकत से पूरे विश्व को परिचित कराते हुए देश के प्रथम चीफ ऑफ डिफेंस (सीडीएस) तक का सफर तय करता है। 12वीं तक की पढ़ाई शिमला के सैंट एडवर्ड स्कूल से करने के बाद भारतीय सैन्य अकादमी से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। जनरल बिपिन रावत ने अमेरिका की कमांड एवं जनरल स्टाफ कॉलेज में सैन्य बारीकियों की शिक्षा ली।
साहसिक एवं निर्णायक फैसले लेने में थे महारथ
जनरल बिपिन रावत की गिनती ऐसे सैन्य अधिकारियों में होती था जो कठोर,साहसिक एवं निर्णायक फैसले लेने में महारथ हासिल किया हो। अपनी इसी क्षमता के कारण वह चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बनें। अपने पूरे 40 साल के सैन्य सफर में उन्होंने कई ऐसे अहम फैसले लिए जो भारतीय रक्षा की दृष्टि से मील का पत्थर साबित हुआ। वतन की हिफाजत के लिए जनरल रावत ने पूर्वोत्तर में उग्रवाद से लेकर पाकिस्तान के घर में घुसकर आतंकियों का सफाया करने तक सभी महत्वपूर्ण सैन्य ऑपरेशन में अपने सूझ-बुझ एवं रणनीतिक समझ से सेना का मनोबल भी बढ़ाया और पूरे विश्व को यह सख्त संदेश दिया कि अगर किसी ने भारत से टकराने की कोशिश की तो भारतीय फौज उसे छोड़ेगी भी नहीं।
2016 में उरी हमले के शहीदों की शहादत का बदला लेने के लिए बतौर उप सेना प्रमुख कुशल रणनीति का संचालन किया। 2019 बालाकोट एयर स्ट्राइक में थलसेना प्रमुख के तौर पर अहम भूमिका निभाई। 2015 में म्यांमार में सेना द्वारा आतंक रोधी ऑपरेशन का जनरल रावत ने सफलतापूर्वक संचालन किया।यह ऑपरेशन पूर्वोत्तर में उग्रवाद को नियंत्रण करने के लिए जाना जाता है। बतौर कर्नल अरुणाचल प्रदेश में 11 गोरखा राइफल की पांचवी बटालियन को भी कमांड किया। ब्रिगेडियर के कार्यभार के दौरान सोपोर में राष्ट्रीय रायफल्स की कमान संभाली। संयुक्त राष्ट्र शांति सेना में दो बार फोर्स कमांडेंट कमेंडेशन नहीं मिला।यूएन के कई मिशन में भी यह तत्पर रहें।
पहाड़ी होने का मिला भरपूर फायदा
जनरल बिपिन रावत उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल से संबंध रखते थे। पहाड़ी वातावरण उनके लिए हमेशा से ही अनुकूल रहा। उरी हमले के बाद सर्जिकल स्ट्राइक एवं बालाकोट एयर स्ट्राइक के समय थल सेनाध्यक्ष की पद पर थे और ऑपरेशन की सफलता में महत्वपूर्ण योगदान दिया। दरअसल अधिकांश ऑपरेशन में उनका पहाड़ों से यह अटूट संबंध कहीं ना कहीं काम आया।दुर्गम और पहाड़ों की प्रतिकूल वातावरण में भी अपना शत्-प्रतिशत योगदान दिया।
रियल हीरो: सख्त अफसर के अंदर छुपा एक सरल एवं जिंदादिल इंसान
देश की हिफाजत के लिए सख्त सैन्य ऑफिसर के अंदर एक सरल इंसान जीवित रहता था। जिन सैन्य अधिकारियों ,जवानों एवं कैडेट्स ने सीडीएस रावत के साथ काम किया या उनके संरक्षण में रहें वह उन्हें अपना असली हीरो मानते हैं। साथी जवानों को हर तरह से प्रेरित करना एवं उनकी हौसला अफजाई करने के लिए उनके साथ मित्रवत व्यवहार करते थे। उनकी प्रसिद्धि का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जनरल रावत बेहद काबिल और जिंदादिल अधिकारी थे और इसी कारण वह बहुत कम समय में ही थल सेनाध्यक्ष से चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ तक का सफर तय किया। सेना में आधुनिकीकरण में जनरल बिपिन रावत का बहुत बड़ा योगदान है। सेना में थिएटर कमांड का खाका तैयार करने में उनकी महती भूमिका थी।
अपने इस शूरवीर योद्धा को देश ने किया सम्मान
सेना में इनकी सफल और साहसिक निर्णयों के लिए इन्हें परम विशिष्ट सेवा मेडल,उत्तम युद्ध सेवा मेडल,अति विशिष्ट सेवा मेडल,विशिष्ट सेवा मेडल,युद्ध सेवा मेडल एवं सेना मेडल से नवाजा गया। हिंदुस्तान के पड़ोसी देश जिस तरह से हम पर अपनी नजरें घर आए हैं उस समय जनरल रावत का जाना हम सभी के लिए एक आघात है। हिंदुस्तान की सीमाओं के रक्षा के लिए हमें जनरल रावत की सबसे अधिक जरूरत थी । सीडीएस जनरल बिपिन रावत के शौर्य एवं साहस तथा सैन्य परिचालन को हिंदुस्तान सदैव याद रखेगा।
अलविदा पूर्व थलसेना अध्यक्ष एवं चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत !!
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