शादी के गीतों में बंदूक का शोर

शादी में बंदूक का क्या काम

भारतीय परम्पराओं विवाह को बहुत ही पवित्र माना जाता है । दुनिया के सभी रिश्ते केवल इसी जन्म तक के लिए होते हैं लेकिन ये रिश्ता सात जन्मों के लिए जुड़ता है ।दो अंजान व्यक्तियों के इस सम्बंध से एक जिंदगी का धरती पर आविर्भाव होता है ।

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भारतीय समाज में खासतौर पर हिंदुओं में शादी को बहुत ही धूमधाम से किया जाता हैं । लाखों करोड़ों का खर्च होता हैं । शादी में बहुत सी रस्मे होती है घर को दुल्हन की तरह सजाते हैं । रातों में आतिशबाजी होती है । डीजे की धुन पर लोग थिरकते है । लज़ीज़ पकवान बनते है ।

अगर एक तरह से देखे तो शादी समाज में अपना रौब दिखाने का जरिया भी है । लोग शादियों में अंधाधुंध पैसा खर्च करते हैं ताकि आस पड़ोस गाँव शहरों में उनकी चर्चा हो उनका सम्मान हो । ये सोच ठीक भी है कुछ हद तक ।

लेकिन आज की शादियों में एक और चीज है जो तेजी से बढ़ रही है । वो है तमंचे का प्रयोग । जिसे हर्ष फायरिंग के नाम से संबोधित करते है । लोग अपना भौकल बनाने के लिए शादी जैसे पवित्र समारोह में तमंचा लहराते हुए चले जाते हैं । वहाँ पर गोलियां दागते है और खुद को बहुत बड़ा रंगबाज समझते हैं । आश्चर्य तो तब होता है जब वहा मौजूद लोग उसी तारीफ करते हैं । उसके गैरकानूनी हरकत में उसका साथ देते हैं ।

अब तो ऐसा लगता है कि शादी में गोलीबारी होना कोई बड़ी बात नहीं और बिना तमंचे के शादी अधूरी है। शादियों में बहुत बार ऐसी घटनाएं हुई हैं जब इन्हीं रंगबजोंं के रंग बाजी के कारण नई जिंदगी के आगमन का समारोह किसी के मौत का कारण बन जाता है ।

अभी ताजा वाकिया बिहार के प्रतापगंज थाना क्षेत्र का है जहाँ जयमाल के दौरान फायरिंग की गई गोली दुल्हन के पैर पर जा कर लगी । जिस दुल्हन को ससुराल जाना था उसे अस्पताल ले जाया गया । अभी उसका इलाज चल रहा है । ये तो बस एक मामला है ऐसे बहुत से मामले रोज अखबारों में निकलते हैं । जिन्हें हम आम खबर समझकर केवल शीर्षक पढ़कर ही छोड़ देते हैं । और अपने घर के शादियों में भी यही गलती दोहराता है ।

एक ओर हम शादी को पवित्र समारोह के तौर पर मानते हैं दुसरी ओर अपनी अहम को तुष्ट करने के लिए शादियों में बंदूक चलते हैं ।सिर्फ कानून ही नहीं तोड़ते हैं अपने सनातन धर्म को भी भ्रष्ट करते हैं क्योंकि हमारे धर्म मेंं किसी भी शुभ काम में हाथियों का प्रयोग वर्जित है । अनावश्यक हथियार का प्रयोग , रक्तपात, हिंसा को हमारे धर्म में अधर्म मानते हैं । ऐसे में शादी विवाह में गोली चलना कहा तक उचित है ।

अभी हालही में उत्तर प्रदेश के उच्च न्यायालय के शादियों में डीजे बजाने पर रोक लगा दी थी । उच्चतम न्यायालय में उसके फैसले की खारिज कर दिया । उच्च न्यायालय ने डीजे होने वाले ध्वनि प्रदूषण को देखते हुए ये फैसला लिया था । लेकिन मुद्दा तो ये है कि क्या सिर्फ आदेश देने से हो जाएगा । बैन तो बंदूक भी है । लेकिन क्या बिना बंदूक के शादियों होती है ।

सच तो ये भी है कि पुलिस ही इस सभी चीजों पर कितना ध्यान देगी । उसके ऊपर पूरे राज्य के सुरक्षा की जिम्मेदारी होती है । अब वो राज्य की सुरक्षा देखे की शादियों में जाकर लोगो की तलाशी ले । वो चाह कर भी ऐसा कर नही सकती क्योंकि बिना वायरेन्ट के ऐसा करना मौलिक अधिकारों का उल्लंघन माना जाएगा ।

लोगों को तो पुलिस को चकमा देकर गैरकानूनी काम करने में अपनी शान समझ आती है । और दूसरे भी उनका साथ देते हैं और घटना होने के बाद भगवान ,पुलिस , प्रशासन पर अपनी गलतियों का ठीकरा फोड़ते है ।ऐसा यो समाज है हमारा जहाँ कट्टा लेकर चलने पर लोग गुंडा मान कर तिरस्कार नही करते है जबकी बड़ा आदमी मानकर सम्मान देते हैं ।

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