शिक्षा के अधिकार को हकीकत बनाना जरूरी :उच्चतम न्यायालय
भारत में कोरोना के कारण बहुत से बदलाव आये हैं । जिसमें शिक्षा के क्षेत्र में आया बदलाव काफी महत्वपूर्ण है । पहले जहाँ स्कूलों के क्लास रूम ने बच्चों को शिक्षा दी जाती थी । वही अब मोबाइल पर ऑनलाइन क्लास रूम में शिक्षा दी जाने लगी है । पढ़ाई के लिए जहाँ बच्चों को पहले कॉपी किताब और पेंसिल की जरूर होती थी । वही अब सबसे पहले स्मार्टफोन मूलभूत जरूरत बन चुकी है ।
जिन बच्चों के पास स्मार्टफोन की सुविधा नहीं है । उनकी पढ़ाई नहींं हो पा रही है। इस तकनीकी ने जहाँ कोरोना से लड़ने में देश की मदद की। कोरोना काल मेंं भी शिक्षा के निरंतरता को बनाये रखा वहींं कोरोना के बाद शिक्षा में भेदभाव बढ़ा दिया ।
इसी विषय पर संज्ञान लेते हुए शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को अपने एक फैसले में कहा कि आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को भी शिक्षा का अधिकार मिलना चाहिए। शिक्षा का अधिकार धरातल पर लाने के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकारोंं को वास्तविक योजनाएं तैयार करनी होगी ।

लॉकडाउन में ऑनलाइन कक्षाओं से दूर रहे बच्चों की जानकारी लेने की जरूरत है । ऐसी ठोस योजना बननी चाहिए जिसका लाभ लम्बे समय तक हो । सभी का शिक्षा का अधिकार सुनिश्चित होना चाहिए ।
न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और बीवी नागरत्न ने कहा कि अनुच्छेद 21 ए का हकीकत बनना जरूरी है । इसके लिए जरूरी है कि कमजोर वर्ग के बच्चों को भी ऑनलाइन शिक्षा से जोड़ा जाए ।
पीठ ने कहा कि आजकल ऑनलाइन पढाई हो रहीं हैं । होमवर्क फोन पर आते हैं । वहींं करके जमा करना होता है । ऐसे में जिन गरीब बच्चों के पास स्मार्टफोन या इंटरनेट नहीं है । वह शिक्षा से दूर हो रहे हैं । ऐसे में शिक्षा के अधिकार की सभी कवायद बेकार है ।
पीठ ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले का सम्मान किया । जिसमे कहा गया था कि निजी और सरकारी स्कूलों के ऑनलाइन कक्षाओं से गरीब बच्चों को जोड़ने के लिए स्मार्टफोन और इंटरनेट उपलब्ध कराया जाए ।
बाल मजदूरी की घटना बढ़ रही हैं
न्यायाधीश बीवी नागरत्न ने कहा कि सुविधाओं के अभाव में पढ़ाई छोड़ना वाले बच्चों की संख्या तेजी से बढ़ रही है । ये बच्चे मजदूरी करने के लिए मजबूर हैं । इसीकारण बाल विवाह और बच्चों के तस्करी के मामले बढ़ रहे हैं । इस खतरे से बचने के लिए ऐसी योजना बनानी होगी । जिसमें ऐसे बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा की रह सुविधा मुहैया हो सके । और शिक्षा के अधिकार को हकीकत बनाया जा सके ।ये जिम्मेदारी सरकार की ही है।