अमित शाह का बड़ा ऐलान 50 किलोमीटर तक होगा BSF का अधिकार क्षेत्र
देश के गृहमंत्री अमित शाह एक बार फिर पूरे देश में चर्चा में हैं अमित शाह अपनी जबरदस्त फैसलों के लिए जाने जाते हैं इस बार भी अमित शाह ने एक ऐसा फैसला लिया है , जिससे अचानक हलचल मच गई है । दरअसल गृह मंत्री अमित शाह ने बीएसएफ यानी सीमा सुरक्षा बल की ताकत बढ़ा दी है, गृह मंत्रालय ने इस सिलसिले में जैसे ही नोटिफिकेशन जारी किया कुछ लोगों की धड़कनें बढ़ गई हालांकि यह फैसला देश के हित में है लेकिन हैरानी की बात है की देश के 2 राज्य जिनकी सिमा दूसरे देशों से लगती हैं उन्होंने इसका विरोध करना शुरू कर दिया है। 🇮🇳
दरअसल गृह मंत्रालय के नोटिफिकेशन में कहां गया है कि;
पश्चिम बंगाल, पंजाब और असम में बीएसएफ का क्षेत्र अंतरराष्ट्रीय सीमा से 50 किलोमीटर अंदर तक का होगा इन तीन राज्यों में पहले यह केवल 15 किलोमीटर का था।
इसका मतलब यह हुआ की बीएसएफ के अधिकारी पुलिस की तरह ही तलाशी जब्ती और गिरफ्तारी 50 किलोमीटर तक कर सकते हैं इसके लिए बीएसएफ को अब केंद्र या राज्य सरकार से कोई अनुमति नहीं लेनी पड़ेगी ।
नोटिफिकेशन के अनुसार बीएसएफ के पास इस दायरे में पासपोर्ट एक्ट, एनडीपीएस एक्ट, कस्टम्स एक्ट, सीआरपीसी, आदि के तहत तलाशी, जब्ती और गिरफ्तारी का भी अधिकार होगा यह व्यवस्था भारत-पाकिस्तान और भारत-बांग्लादेश सीमा के साथ अंतरराष्ट्रीय सीमा पर लागू होगी।
बीएसएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि अगर हमारे पास किसी मामले में खुफिया जानकारी है तो हमें स्थानीय पुलिस के जवाब का इंतजार नहीं करना पड़ेगा और हम समय रहते अनिवार्य कार्यवाही कर सकते हैं इन तीन राज्य के अलावा कुछ और राज्यों में भी बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र को लेकर बदलाव किए गए हैं।
आपको बता दें कि गुजरात में भी बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र में 30 किलोमीटर की कटौती की गई है पहले गुजरात में बीएसएफ का अधिकार क्षेत्र 80 किलोमीटर तक था। वहीं राजस्थान में बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र में कोई बदलाव नहीं किया गया है वह अभी भी 50 किलोमीटर तक का रहेगा वही मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा ,नागालैंड , मेघालय, केंद्र शासित प्रदेश कश्मीर और लद्दाख में भी कोई सीमा निर्धारित नहीं की गई है।
आपको बता दें कि बीएसएफ का अधिकार क्षेत्र बढ़ाने के बाद बवाल मचना शुरू हो गया है, पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने इस फैसले की कड़ी निंदा की है तो वहीं तृणमूल कांग्रेस ने भी इसका विरोध करते हुए कहा की कानून व्यवस्था राज्य का विषय है फिर केंद्र सरकार केंद्रीय एजेंसियों के जरिए दखल देने की कोशिश क्यों कर रही है।
आपको बता दें दो राज्य बेहद संवेदनशील है पंजाब की सीमा पाकिस्तान से लगती है तो वहीं पश्चिम बंगाल की सीमा बांग्लादेश से लगती है इन राज्यों में नारकोटिक्स और हथियारों की तस्करी के साथ अवैध घुसपैठ के मामले भी समय-समय पर सामने आते रहते हैं पश्चिम बंगाल और पंजाब दोनों में गैर वाजपेई सरकार है ऐसे मे केंद्र के किसी भी कदम पर राजनीति होना तो लाजमी है लेकिन दोनों ही प्रदेशों में सुरक्षा स्थिति ऐसी है कि जिसमें ऐसे सख्त कदमों की आवश्यकता नहीं पंजाब लंबे अरसे से आतंकवाद से जूझ रहा है पंजाब का बॉर्डर पाकिस्तान से जुड़ा हुआ है और इसलिए पाकिस्तान की तरफ से लगातार घुसपैठ, स्मगलिंग और आतंकियों की भेजने की कोशिशें की जाती है पाकिस्तान से नारकोटिक्स और नशीली पदार्थ के स्मगलिंग की बड़ी समस्या है जिससे बीएसएफ को जूझना पड़ता है।
पिछले कुछ सालों में पंजाब बॉर्डर से ही गुरदासपुर, पठानकोट पर हमला करने वाले आतंकवादी आए थे ऐसी स्थिति में बीएसएफ को काफी दूर तक जाकर स्मगलर और आतंकवादियों और घुसपैठियों की पीछा करने की जरूरत होती है।
पंजाब जैसे स्टेट जिसमें की आबादी बहुत ज्यादा है और छोटा स्टेट है यहाँ पर थोड़ी सी देर से स्मगलर या आतंकवादी घुसपैठ कर निकल सकते हैं इसलिए वहां पर बीएसएफ को अगर और ज्यादा अधिकार दिए गए तो ऐसी स्थिति में वह ज्यादा अंदर तक जाकर पुलिस के बगैर मदद के भी करवाई कर सकते हैं जिससे स्मगलर, नारकोटेक्स के स्मगलर्स ,आतंकवादियों को पकड़ सकते हैं।
पिछले कुछ सालों में पंजाब में आतंकवाद भड़काने की कोशिशें की जाती रही है हाल में ही पाकिस्तान के तरफ से ड्रोन के जरिए हथियार और नारकोटिक्स भेजने की कई घटनाएं हुई हैं। कुछ घटनाएं रिकॉर्ड की गई है हो सकता है कुछ घटनाएं ऐसी भी हो जो की अभी भी हो रही हों।
पश्चिम बंगाल की स्थिति थोड़ी सी ज्यादा चुनौतीपूर्ण है पश्चिम बंगाल की सीमा जो बांग्लादेश से लगती है वह थोड़ा सा है वहां पर बहुत सारे ऐसे रास्ते हैं जहां से होकर भारत में पश्चिम बंगाल में घुसपैठ की जा सकती है। और पिछले कुछ सालों में यह बहुत बड़ी समस्या के रूप में उभर कर आया है दरअसल पश्चिम बंगाल से आय बांग्लादेशी और रोहिंग्या शरणार्थियों ने देश में जगह-जगह अपने घर बना लिया है।
रोहिंग्या के शरणार्थी तो जम्मू तक देखे जाते हैं बांग्लादेशी शरणार्थी पूरे देश में करोड़ों की तादात में हैं और यह बहुत बड़ी चुनौती है उनको ढूंढना और उनको वापस भेजना।
पश्चिम बंगाल में ऐसी खबरें बार-बार आती हैं की डेमोग्राफी बदली जा रही है पश्चिम बंगाल के वह इलाके जो बांग्लादेश से सटे हुए हैं वहां घुसपैठियों ने लगातार आकर घुसकर वहां की जनसंख्या की संतुलन को ही बिगाड़ दिया है वहां पर ज्यादा तादाद बांग्लादेशी मुसलमानों की है।
चूंकि बार-बार यह कहा जाता है कि राजनीति में उनका खासा इस्तेमाल वोट बैंक के रूप में किया जाता है । इसलिए उस मामले में राज्य सरकार के ऊपर कई सवाल खड़े होते हैं, कि वह घुसपैठ का समर्थन करते हैं और घुसपैठियों को बचने में मदद करते हैं ऐसे नेता जिनको-उन्हें वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल करना होता है।
इसलिए पश्चिम बंगाल में यह बीएसएफ के अधिकार को बढ़ाया जाना ज्यादा कारगर और ज्यादा जरूरी है इसलिए बांग्लादेश से आने वाले शरणार्थीयो का जो रेला लगातार आ रहा है उसको रोकना इस समय बहुत ज्यादा जरूरी है।
Kamal Nath and Shivraj.
बांग्लादेशी शरणार्थी असम में भी आ रहे हैं और पश्चिम बंगाल में भी आ रहे हैं असम में उनके साथ भेदभाव भी हो रही है पश्चिम बंगाल में ऐसा नहीं हो रहा है पश्चिम बंगाल में उनका घुलना मिलना आसान होता है, क्योंकि एक सी भाषा, एक सा पहनावा एक सा खानपान होता है और इसलिए वहां अगर बीएसएफ को ज्यादा अधिकार मिलेगा तो वह ज्यादा अंदर तक जाकर कार्यवाही कर सकते हैं ऐसे में यह फैसला घुसपैठियों के घुसपैठ की घटनाओं की रोकथाम में भी मददगार साबित होगा और घुसपैठियों को पकड़ा भी जाएगा।
पश्चिम बंगाल से कैटल स्मगलिंग बहुत बड़े पैमाने पर होता है यानी देश के दूसरे हिस्सों से मवेशी खासा तौर पर गायब किए जाते हैं और उन्हें पश्चिम बंगाल ले जाया जाता है और वहां से फिर बांग्लादेश के बॉर्डर पर भेज दिया जाता है अगर बीएसएफ को ज्यादा इलाकों तक पहुंचने, जब्ती करने तलाशी लेने की इजाजत होगी तो सीमा से सटे उन इलाकों में 20 किलोमीटर 25 किलोमीटर जहाँ देश के अलग-अलग हिस्सों से लाए गए मवेशी रखे जाते हैं और सही वक्त के इंतजार में उनको बॉर्डर पार कराया जाता है, उनको जप्त करने और अपराधियों को पकड़ने का भी मौका मिलेगा।
इसलिए कम से कम पंजाब और पश्चिम बंगाल दोनों ही जगह बीएसएफ को ज्यादा अधिकार और ज्यादा शक्तियां मिलना लाजमी है।