युवाओं में बढ़ाता तनाव समाज के लिए हानिकारक : विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस

दुनिया का  हर पांच में से एक युवा मानसिक रूप में बीमार है ।

मनुष्य का मन कोई अंग नहीं बल्कि विचार करने की शक्ति उसके मन में हर सेकंड हजारों विचार आते रहते हैं । कभी मन दुखी होता है तो कभी खुश ।कभी चिंतित तो कभी भावात्मक । हमारा मन निरन्तर कार्य करता रहता है । वह सोता भी नहीं , सोते समय भी अपना कार्य करता है जिस कारण उसकी बीमार होने की संभावना अधिक होती है । कई लोगों को तो पता ही नहीं चलता कि हमारा मन बीमार है ।

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thewebnews.in

आकड़े बताते हैं कि

97 मानसिक रोग से ग्रसित मरीज दुनिया भर में है । दुनिया में 20 फीसदी युवा आबादी मानसिक रोग सी जूझ रहींं है ।
10 में से 5 मरीजों  को तो पता ही नहीं कि वह मानसिक रुप से बीमार हैं ।

विश्व में आज 9 से 17 वर्ष के हर पांच में से युवा का मन किसी न किसी रूप से बीमार है ।
कोरोना महामारी ने मन रोगियों की संख्या 20 प्रतिशत तक बड़ा दी है ।
डब्ल्यू . एच . ओ  के अनुसार  भारत में 5.6 करोड़  लोग अवसाद तो 3.8 करोड़ चिंता से ग्रसित है ।

मन  के रोगी होने का कारण

आज हमें मानसिक रुप से जो परेशानी झेलनी पड़ रही है उसका कारण हमारी प्रतियोगिता भरी जीवन शैली है । आज हमारे पास स्वयं के लिए , अपने परिजनों के लिए वक्त नहीं हैं । इसलिए हम भी अकेला महसूस करते हैं और दूसरों को भी अकेला महसूस कराते हैं । हम जिस अंधी दौड़ में भाग रहे उसका परिणाम अंत में असफलता ही है क्योंकि अब मंजिल को प्राप्त करने के बाद भी हमारा मन आराम नहीं महसूस कर पा रहा है । 

अपने व्यस्त जीवन में हमारे पास अपनी मन की बात सुनने की और उसे आराम देने की फुर्सत नहीं है । हमारे पास ना ही ध्यान करने का वक्त है   ना ही प्राणयाम करने का जिससे मन को आराम मिलता है । किसी शांत जगह पर जाकर वक्त गुजरे हमें जवान गुजर चुका है । 
हम अपने मनोरंजन के लिए भी जो चीजें प्रयोग करते हैं वो कही ना कही हमारे चिंता को बढ़ा ही रही होती है । जैसे टीवी सीरियल ,  फिल्म , पार्टी , नशा , आधुनिक तकनीक ,  स्मार्टफोन ।

मनोरोग के लक्षण 

  • अचानक कोई अधिक सोने लगता है या उससे नींद नहीं आती है ।
  • खुद की देखभाल के प्रति अचानक से कम गंभीर हो जाता है ।
  • समाज से अलग-अलग रहने लगता है  । स्कूल , दफ्तर में लोगों से दूर होने लगता है ।
  • मन में हमेशा नकारात्मक विचार आने लगते हैं ।
  • सोचने की क्षमता का कमजोर होना । कार्य क्षमता का प्रभावित होना ।
  • संवेदनशीलता का बढ़ना , आवाज, गंध और स्पर्श से परेशान महसूस करना ।
  • किसी से घबराने लगना व्यवहार और स्वभाव में अजीब बदलाव होना ।
  • चिड़चिड़ापन महसूस करना ।

आर्थिक नुकसान 

36.6 % खुदखुशी के केस भारत से है । युवाओं में खुदखुशी की प्रवृत्ति बड़ी है । युवाओं की मौत और खराब स्वास्थ्य से देश को वर्ष 2030 तक 10.03 खरब डॉलर का नुकसान झेलना पड़ सकता है ।

विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस का इतिहास

संयुक्त राष्ट्र के उप महासचिव रिचर्ड हंटर और वर्ल्ड फेडरेशन फॉर मेंटल हेल्थ के पहल पर पहली बार वर्ष 1992 में विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया गया था । इसके बाद 1994 में संयुक्त राष्ट्र के तत्कालीन सचिव यूजीन ब्रोडी ने इसे थीम के साथ मनाने की शुरुआत की । उस समय इसकी थीम थी ” मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार ” ।
इसमें प्रत्येक 10 वर्ष पर 10 अक्टूबर को मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है । 
इस वर्ष इसकी थीम है ,”मेंटल हेल्थ केयर फॉर ऑल : लेट्स मेक इट अ रिअलिटी “।

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