जीवन पर खतरा ; जल संकट

पाकिस्तान में 60 सालों के सबसे भीषण जल संकट दौर

जल संकट ने पाकिस्तान में अपना रौद्र रूप दिखला दिया है । आर्थिक त्रासदी में जूझ रहा पाकिस्तान अब जल की एक – एक बूँद को तरस रहा है । द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक डब्ल्यूएएसए के प्रबंध निदेशक राजा शौकत महमूद ने माना कि रावलपिंडी शहर में 59 मिलियन गैलन की जरूरत के मुकाबले रोजाना महज 46 एमजीडी जलापूर्ति ही हो रही है। इस बीच, पेशावर क्षेत्र में भूजल स्तर भी घटकर 650 फीट रह गया है।


जल व स्वच्छता एजेंसी (डब्ल्यूएएसए) ने रावल पिंडी में बहुत कम जलापूर्ति की बात स्वीकारी वहीं सिंधु नदी प्रणाली प्राधिकरण (आईआरएसए) को पंजाब और सिंध प्रांतों में फिलहाल धान की बुवाई न करने की सलाह तक देनी पड़ी है।

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जल संकट तो भारत में भी

जिस जल संकट से आज पाकिस्तान दो – दो हाथ कर रहा है ।वहीं जल संकट पूरे विश्व पर मंडरा रहा है । भारत भी इससे अछूता नहीं है । भारत के कई शरीर हर साल भीषण जल संकट का सामना करते है । एक – एक लीटर पानी लिकालने के लिए बच्चों का अपनी जान की बाजी लगा कर कुँए में उतरने की तस्वीरों को कौन भूल सकता है ।
बीते दो वर्षों से कोरोना महामारी की खबरों ने ऐसी तस्वीरों को छिपा जरूर दिया है पर बदल नहीं पायी है ।


नीति आयोग के एक जून 2018 में आने वाले जल संकट के प्रति आगाह करने वाली एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसका नाम था — “कंपोज़िट वाटर मैनेजमेंट इंडेक्स (CWMI), अ नेशनल टूल फॉर वाटर मेज़रमेंट, मैनेजमेंट ऐंड इम्प्रूवमेंट।” इस रिपोर्ट में नीति आयोग ने माना था कि भारत अपने इतिहास के सबसे भयंकर जल संकट से जूझ रहा है। और देश के क़रीब 60 करोड़ लोग यानी 45 फ़ीसद आबादी को पानी की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है। इस रिपोर्ट में आगे आगाह किया गया था कि वर्ष 2020 तक देश के 21 अहम शहरों में भूगर्भ का जल ख़त्म हो जाएगा ।

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वर्ष 2030 तक देश की 40 प्रतिशत आबादी को पीने का पानी उपलब्ध नहीं होगा।  और 2050 तक जल संकट की वजह से देश की जीडीपी को 6 प्रतिशत का नुक़सान होगा। इस रिपोर्ट के जारी होने के बाद 2019 में सरकार ने 2024 तक देश के सभी ग्रामीण घरों तक पाइप से पीने का साफ़ पानी पहुंचाने की महत्वाकांक्षी योजना का एलान किया है । हालांकि, ये लक्ष्य तारीफ़ के क़ाबिल है लेकिन, सरकार ने ये साफ़ नहीं किया है कि वो इस लक्ष्य को किस तरह हासिल करने वाली है ।
सिर्फ भारत ही नही विश्व के तमाम से देशों की स्थिति ऐसी ही है ।वर्ष  1995 में विश्व बैंक के उपाध्यक्ष इस्माइल सेराग्लेडिन ने कहा था कि “इस शताब्दी की लड़ाई तेल के लिये लड़ी गई है लेकिन अगली शताब्दी की लड़ाई जलापूर्ति के लिये लड़ी जाएगी। ” जो कि काफी हद तक सही लागत है ।

औद्योगिक क्रांति ने प्रकृति व्यवस्था की नष्ट कर दिया है । औद्योगीकरण के कारण पृथ्वी का तापमान 2 डिग्री बढ़ा है और निरन्तर बढ़ रहा है । तापमान में वृद्धि और भूजल के दोहन से जल संकट की समस्या गहरा गयी है ।जल का कोई और विकल्प मौजूद नहीं हैं । वर्तमान में हमने लोगों को हवा खरीदने के लिए भागते हुए देखा है । वही स्थिति जल के लिए भी आ होने वाली है ।

भारत में जल संकट का प्रमुख कारण

भारत मे जल संकट का प्रमुख कारण सिर्फ मानसून की अनियमितता और बारिश का कम होना ही नहीं बल्कि जल का दुरुपयोग भी है । भारत में भूजल का दोहन अपने चरम पर है । भारत में भूजल का 90 % हिस्सा कृषि में प्रयोग होता है जो कि चीन से भी अधिक है जहाँ सिचाई योग्य भूमि भारत से अधिक है ।

देशखेती में इस्तेमाल होने वाला पानी (billion m3)कुल पानी निकासी(billion m3)खेती में इस्तेमाल पानी का हिस्सा (%)सिंचाई योग्य ज़मीन(m ha)
भारत6887619067
चीन3585546569
अमेरिका1754864026
पाकिस्तान1721849420
इंडोनेशिया93113827

स्रोत: विश्व बैंक (2018)

देश की प्रमुख फ़सलों — गेहूं, चावल और गन्ने की खेती में बहुत पानी लगता है. हमारे देश से सबसे ज़्यादा चावल का निर्यात होता है । हर एक किलो चावल के उत्पादन में 3500 लीटर पानी लगता है । अर्थात् हम चावल के रूप में आपने अमूल्य जल को बेच रहे है ।

भारतीय शहरों में जल संसाधन के पुर्नप्रयोग के लिये गंभीर प्रयास नहीं किये जाते हैं, यही कारण है कि शहरी क्षेत्रों में जल संकट की समस्या चिंताजनक स्थिति में पहुँच गई है। शहरों में ज़्यादातर जल के पुर्नप्रयोग के बजाय उसे सीधे नदी में प्रवाहित करा दिया जाता है। 

इसके अलावा रोज के प्रयोग मे भी जल का दुरुपयोग बहुत अधिक किया जाता है जो चिन्ता का विषय है ।लोग जल संरक्षण के लिए जागरूक तो है किंतु अभी उसकी गंभीरता को समझ नजी पा रहे है । लोगों को समझना होगा कि जल संरक्षण जीवन के लिए कितना आवश्यक है ।

हम अपने बच्चों के भविष्य लिए तरह तरह के बीमा योजनाओं को खरीदते हैं ।उनके सुनहरे कल के लिए अपना आज लगा देते हैं लेकिन जो उनके ओर उनके कल के लिए सबसे जरूरी है जल उसके संरक्षण पर ध्यान ही नहींं देते । जरा सोचो अगर जल खत्म हो गया तो उनका क्या होगा । अगर जल नहींं बचा सकते तो अपने बच्चों का भविष्य बचा लो ।

जल है , तो कल है ।

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