उत्तरायण होते हैं सूर्य नारायण ।
14 -15 जनवरी को मनाया जाने वाला मकर सक्रांति का त्योहार हमारे देश का पहला पर्व है । इसे देश के विभिन्न हिस्सों में अलग -अलग नामों से, भिन्न- भिन्न रूपों में मनाया जाता है ।
देश के विभिन्न हिस्सों में इस पर्व को लेकर अलग-अलग लोककथाएं अलग-अलग परंपराएं देखने को मिलती हैं । देश के उत्तरी राज्य जैसे हरियाणा ,पंजाब, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली में मकर संक्रांति को लोहडी कहते हैं । तो दक्षिणी राज्य तमिलनाडु में पोंगल के नाम से मनाया जाता है ।
आंध्र प्रदेश, कर्नाटक ,केरल में इसे सक्रांति कहते हैं । तो गुजरात में यह उत्तरायण के नाम से प्रसिद्ध है । राजस्थान, बिहार ,झारखंड में इसे सकरात तो उत्तर प्रदेश में खिचड़ी के नाम से जाना जाता है ।
देश कीअनेकता में एकता दिखाने वाला यह त्योहार वास्तव में एक खगोलीय घटना है । जिसे भारतीय संस्कृति पर्व के रूप में मनाती है । इस दिन सूर्य मकर रेखा की सीध में आते हैं और सूर्य की उत्तरायण गति आरंभ होती है । राते छोटी और दिन बड़े होने लगते हैं शीत ऋतु का प्रभाव थोड़ा कम हो जाता है ।
गुड़ की मिठाइयों और खिचड़ी का त्यौहार है मकर सक्रांति
मकर संक्रांति में गुड़ की मिठाईयां और खिचड़ी दो चीजें प्रमुखता से देखने को मिलती है। देश में अलग – अलग जगहों पर इन्हें भी अलग -अलग तरीकों से बनाया जाता हैं । बिहार में चूड़ा और लाई को गुड़ की चाशनी में डालकर डुंडा बनाते हैं । तो उत्तर प्रदेश में छोटी जोनहरी (ज्वार) का डुंडा मन भाता है । तिल और गुड़ के लड्डू विशेष तौर पर बनते हैं । मूंगफली पर गुड़ की पट्टी का अपना ही स्वाद है ।
मकर संक्रांति और खिचड़ी
मकर संक्रांति पर देश के विभिन्न शहरों में अलग -अलग स्वाद वाली खिचड़ी बनती है । हरियाणा में खिचड़ी बाजरा और मूंग दाल से बनाई जाती है । स्वार्थ के लिए जीरा का उपयोग किया जाता है ।पंजाब में अरहर दाल और चावल से बनी खिचड़ी दही, पापड़ और अचार के साथ खाई जाती है ।
बंगाल में खिचड़ी यानी खिजरी को मूंग , दाल, चावल, फूल गोभी टमाटर ,आलू और मटर डालकर पौष्टिक बनाया जाता है। बिहारी खिचड़ी गरम मसाला से भरपूर होती है ।उड़ीसा की खिचड़ी यानी आदहेगू हींग और अदरक से बघारकर भगवान जगन्नाथ को भोग लगाया जाता है, फिर सबको खिलाई जाती है ।
कर्नाटक की खिचड़ी यानी बिसेबेले में तड़के के रूप में काली मिर्च ,जीरा और काजू का इस्तेमाल होता है । केरल के मंधन और आंध्र प्रदेश के पुलगम नामक खिचड़ी बेंगलुरु के इस्कॉन मंदिर में प्रसाद के तौर पर बांटी जाती है । गुजरात की खिचड़ी कढ़ी और उधिया के साथ सर्व की जाती है । मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में मूंग , अरहर , चना , मसूर और चावल की खिचड़ी बनाई जाती है ।
लोक मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी बनाने की परंपरा भगवान शिव ने शुरू की थी। इतिहास के पन्नों में खिचड़ी करीब 25 सौ साल पुरानी डिश है । 1350 में भारत आए मोरक्को के सैलानी इब्नबतूता ने भी चावल और मूंग दाल से बनी भारत की खिचड़ी का उल्लेख किया है। 16 वीं सदी में मुगल बादशाह जहांगीर ने गुजरात में कुछ ग्रामीणों को खिचड़ी खाते देखा। जब बादशाह ने खिचड़ी खाई तो वह उसके मुरीद होगी ।
खिचड़ी का विश्व रिकॉर्ड
ग्लोबल फूड एक्सपो द्वारा आयोजित वर्ल्ड फूड इंडिया 2017 में खिचड़ी को भारत की ओर से सुपर फूड का तमगा दिया गया था ।
हिमाचल प्रदेश के तत्तापानी में एक ही बर्तन में 1995 किलो खिचड़ी बनाने का विश्व रिकॉर्ड गिनीज बुक में दर्ज है । 25 सेफ की मदद से इतनी बड़ी मात्रा में खिचड़ी बनाने का लक्ष्य पूरा हुआ । इस स्वादिष्ट खिचड़ी में 405 किलो बासमती चावल, 105 किलो दाल ,90 किलो शुद्ध घी , 55 किलो मसाले और 1100 लीटर पानी से बनी स्वादिष्ट खिचड़ी का मजा हजारों लोगों ने लिया । इससे पहले 918.8 किलो खिचड़ी पकाने का विश्व रिकॉर्ड देश के मशहूर सेफ संजीव कपूर के नाम था ।