सोशल मीडिया पर मातृ दिवस , घर में माता विवश ।
आज 9 मई अंतर्राष्ट्रीय मातृ दिवस है । ऐसे में पूरे सोशल मीडिया पर माँ के सम्मान में लाखों पोस्ट देखने को मिल जायेंगे । लोग सोशल मीडिया पर अपने को ऐसे उच्च आदर्शों वाला दिखाते है कि मानो वह सचमुच मातृ भक्त हो । लेकिन वास्तविकता क्या है ये हम सब जानते हैं ।आज भारत मे वृद्धाश्रम की संख्या दिनों दिन बढ़ रही है ।
माँ की कमर झुकती नहीं की उन्हें वृद्धाश्रम भेज दिया जा रहा है । जिस माँ ने अपनी संतानों को 9 महीन अपने खून से सींच है। उस माँ को हम घर में एक कोना तक नहींं दे पा रहे है । और मातृ दिवस पर पोस्ट करने है की “माँ तू मेरा संसार है ।” अरे ये कैसा प्यार है ?
सोशल मीडिया वाला मातृ दिवस
माँ शब्द नहीं संसार है।
माँ मनुष्य नहीं सिर्फ प्यार है ।
उसकी गोद में मेरे सारे त्योहार है।
माँ शब्द नहीं संसार है ।
पढ़ लो उसे उसमें गीता का पूरा सार है ।
माँ धरती पर देवी का अवतार है ।
माँ की सेवा ही हमारा संस्कार है ।
माँ शब्द नहीं संसार है ।
मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाएंं ।।
ऐसे ही पोस्ट सोशल मीडिया पर देखने को मिलते है जहाँ माँ की महिमा का गुण गान करते लोग थकते नहीं है । किन्तु समस्या ये है कि अपने असल जिंदगी में वे एक उम्र के बाद माँ के महत्व को भूल जा रहे हैं ।देश में ये समस्या बहुत तेजी से बड़ रही है जिसका नतीजा ये हो रहा है कि लोग अपने माता पिता को वृध्दाश्रम भेज दे रहे है ।
और जो उन्हें घर में रख रहे हैं वो उन्हेंं बेकार समान से ज्यादा कुछ नहीं समझ रहे हैं । जिस माता पिता ने उनके लिए अपनी पूरी जिंदगी दे दी उन्हें देने के लिए लोगों के पास कुछ वक़्त नहीं है । अपनी दोड़ती भागती जीवन के कारण लोग अपने संस्कारों को भूल चुके है ।भारत जैसे उच्च संस्कारों देश में ये हाल है जहाँ देवी को लोग माँ और माँ को देवी मानते हैं।
हम भारत को भी भारत माता कहते है नदी को गंगा मईया बुलाते है लेकिन अपनी जननी उसके बुढापे में वृध्दाश्रम छोड़ आते है । सिर्फ मातृ दिवस पर सोशल मीडिया पर माँ को याद करते है । ये पश्चिमी सभ्यता का प्रभाव ही तो है ।
जो अब हम जिले में वृध्दाश्रम की आवश्यकता महसूस हो रही है । सरकार ने अक्टूबर2019 देश में 600 वृध्दाश्रम बनाने की मंजूरी दी है ।
ये कैसे विकास की ओर देश बढ़ रहा है जहाँ लोग तरक्क़ी की चाह में जन्म देने वाले रिश्तों को भूल रहे हैं । एक सर्वे के अनुसार 2025 तक देश मे बुजुर्गों की आबादी लगभग 10 करोड़ हो जाएगी ।
आज जहाँ हमारे माता पिता है कल वहाँ हम होंगे । हमारी संताने भी हमारे साथ वैसा ही व्यवहार करेंंगे जैसा हम कर रहे हैंं ।क्योंकि हम उन्हें वही सीखा रहे हैं । किसी ने सत्य कहा है हमारा आचरण ही हमारे संतानो का संस्कार होता है ।
मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं ।