ऑक्सीजन की कमी से नहीं तोड़ा किसी ने दम
कोरोना पर हो रही सियासत अब नया रूप ले चुकी है । नए स्वास्थ्य मंत्री के बयान ने कोरोना के दूसरी लहर का पूरा स्वरूप ही बदल कर रख दिया । देश के उच्च सदन में उन्होंने बयान दिया कि देश के किसी भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश में किसी की भी मौत ऑक्सीजन की कमी से नहीं हुई ।
बिहार ,छत्तीसगढ़ मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र भी यहीं बोल रहे कि ऑक्सीजन की कमी से एक भी जान नहीं गयी । दिल्ली औऱ आंध्र प्रदेश तो अपने अकड़े से ही मुकर गए है ।
लेकिन हद तो तब हो गयी जब महाराष्ट्र सरकार ने नासिक अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से हुए 22 मौतोंं को हादसा करार दे दिया । भाजपा के प्रवक्ता संबित पात्रा का कहना है कि स्वास्थ्य राज्य का मुद्दा है राज्य ही अपने अकड़े केंद्र को देता है केंद्र सिर्फ उसे जारी करता है ।
प्रत्यक्ष को प्रमाण की क्या आवश्यकता
संविधान में स्वास्थ्य चाहे किसी का भी मुद्दा हो लेकिन ये आम आदमी के जिन्दगी का सवाल है । सरकार मौत को अकड़ा बता कर जारी करती है लेकिन उन आँकड़ो में कई लोगों की जिंदगी होती हैं । जिसके खत्म होने की वजह हमारी स्वास्थ्य व्यवस्था है ।
महामारी के वो प्रलयकारी दिनों का मंजर अभी किसी के आँखों से उतरा नहीं है । जब दूसरी लहर हमारे अपनों की साँसे रोक रही थी । और साँसे देने वाली ऑक्सीजन अस्पतालों में नहीं थी । हर रोज टी वी खोलते ही खबर मिलती थी कि ऑक्सीजन की कमी से मौतोंं का नया रिकॉर्ड बना ।
भला कौन भूल सकता है उन खबरों को जब पता चलता था की ऑक्सीजन की कमी से दिल्ली के बत्रा अस्पताल में 12 की मौत । जयपुर के गोल्डेन अस्पताल में 20 और गंगाराम अस्पताल में 25 मौतोंं का अस्पताल प्रबंधन ने दावा किया था । मध्यप्रदेश के शहडोल मेडिकल कॉलेज के प्रबंधन और ज़िला प्रशासन के एक ही रात में 12 लोगों मौत की पुष्टि की थी । कर्नाटक के चामराजनगर अस्पताल में एक दिन में 24 और आंध्र प्रदेश में 30 मरीजों ने ऑक्सीजन की कमी से जान गवाई थी ।
ये सब तो वो लोग हैं जिन्होंने अस्पताल में दम तोड़ा । कई तो ऐसे भी है जिन्हें अस्पताल में बेड भी नहींं मिली और वो बेड और ऑक्सीजन के लिए आगरा के रवि सिंघल जैसे भटकते भटकते मर गए ।
याद होगा 23 अप्रैल के वो दिन जब हमने एक पत्नी को अपने पति को मुँह से साँसे देते हुए देखा था । रेणु ने अपने पति को बचाने की हर सम्भव कोशिश की । अपने जान की परवाह किये बिना अपने पति को मुँह से साँसे दी पर वो (रवि )अपने पति को बचा न सकी ।
ये केवल एक घटना है जिसके बारे में हमे पता है । ऐसी अनेक घटनाएं होगी जिसकी किसी को सूचना तक नहीं । उनका अकड़ा कौन देगा राज्य या केंद्र । या ऑक्सीजन को लेकर अपनी सियासत चमकने में लगे लोग ।
मृत्यु प्रमाण पत्र में ऑक्सीजन की कमी नहीं हो सकती मौत की वजह
विशेषज्ञों ने बताया कि उन्हें सरकार से ऐसे ही जवाब की उम्मीद थी । दरअसल राज्य या केंद्र सरकार के पास ऐसी कोई व्यवस्था ही नहीं जिससे ये पता चल सके कि ऑक्सीजन की कमी से कितनी मौते हुई ।
ऑक्सीजन एक थेरेपी है इसकी कमी से ऑर्गन फेल हो सकते हैं जिससे मौत हो सकती है । लेकिन मृत्यु प्रमाण पत्र में मौत की वजह ऑर्गन फेल होना लिखा जाएगा ऑक्सीजन की कमी नहीं ।
बत्रा अस्पताल के निर्देशक एसएल गुप्ता ने बताया कि मैं अभी भी वो रात नहींं भूला जब ऑक्सीजन की कमी से एक साथ 12 लोगों की जान गई थी । ये कहना बिल्कुल सही नहींं की ऑक्सीजन की कमी नहीं हुई थी । इसे प्रामाणित नहीं किया जा सकता तो क्या पर ये सत्य है ।
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