ज्ञानवापी मामला: शिवलिंग पर ‘सियासत’ का धर्मयुद्ध जारी
वाराणसी: देश में धार्मिक स्थलों पर विवाद पुराना है, कभी अयोध्या कभी काशी तो कभी मथुरा विवादों का दौर जारी है। वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद के वजू खाने में शिवलिंग होने का दावा किया जा रहा है। सर्वे रिपोर्ट के अनुसार मस्जिद में शिवलिंग के साथ-साथ अन्य कई हिंदू कलाकृतियां विद्दमान हैं। इनमें कितनी सच्चाई है इसका फैसला अदालत करेगी लेकिन इसी बीच काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत कुलपति तिवारी ने मस्जिद के भूतल के नीचे एक और शिवलिंग के मौजूद होने का दावा किया है। अर्थात अभी इस युद्ध का अंत होता नजर नहीं आ रहा।
इस मामले को उच्चतम न्यायालय ने सिविल कोर्ट से जिला अदालत में भेज दिया। डिस्ट्रिक कोर्ट में इससे संबंधित 4 याचिकाएं दाखिल हैं जिसकी सुनवाई सोमवार से जिला जज अजय कुमार विश्वेश की कोर्ट में होनी है। इस पूरे मामले पर वाराणसी जिला कोर्ट को 8 हफ्तों में फैसला सुनाना होगा जिसके बाद जुलाई से इसकी सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में शुरू होगी।

क्या है दोनों पक्षों का दावा
काशी विश्वनाथ कॉरिडोर परिसर के पास ही ज्ञानवापी मस्जिद है। इसी मस्जिद को लेकर दोनों पक्षों के बीच समय समय पर मतभेद होते रहते हैं। एक पक्ष का कहना है कि मस्जिद में स्थित वजू खाने में शिवलिंग है, जबकि दूसरे का कहना है कि यह फव्वारा है। मस्जिद की दीवार पर त्रिशूल,कलश एवं अन्य सनातन कलाकृतियां मौजूद हैं।
1991 में पहली बार मुकदमा दाखिल कर वहां पूजा करने की अनुमति मांगी गई।1993 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्थिति को यूं ही रखने का आदेश दिया।2018 में सुप्रीम कोर्ट ने स्टे ऑर्डर की वैधता छः महीने के लिए बढ़ा दिया। इसके बाद 2021 में फास्ट ट्रैक कोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर में पुरातत्व सर्वेक्षण की मंजूरी दी। अब वहां शिवलिंग होने का दावा किया जा रहा है।
सभी के अपने-अपने दावे हैं अपनी दलीलें हैं। अयोध्या,काशी,मथुरा,क़ुतुब मीनार से लेकर हिंदुस्तान की शान एवं यूनेस्को की लिस्ट में शामिल ताजमहल सभी इस धर्म युद्ध की चपेट में है। इन सबका सीधा असर भारतीय राजनीति पर दिख रहा है। सभी अपनी सियासी रोटियां सेंकने को आतुर हैं।