जनसंख्या दिवस आज
प्रकृति ने अपने सभी घटकों को एक अनुपात में विकसित किया ताकि प्रकृति की गतिविधियां सुचारू रूप से चलती रहे । लेकिन हमेशा ही मनुष्य ने प्रकृति के नियमों का उल्लंघन कर खुद को बड़ा बताना चाहा है उसने अपने ज्ञान का उपयोग कर नए नए अविष्कार किये इन अविष्कारों ने मनुष्य की उम्र को और बड़ा दिया है । मृत्यु दर घटती गयी और जन्म दर में वृद्धि होती गयी ।जिसका परिणाम यह हुआ कि आज धरती पर मनुष्य की आबादी बेतहाशा बढ़ चुकी है । जिसे जनसंख्या विस्फोट का नाम दिया जा रहा है ।
जिसके कारण प्रकृति की और सभी घटक कम पड़ रहे है । भूमि , पानी अब तो हवा पर भी संकट आ चुका है । बढ़ती जनसंख्या पर्यावरण के पतन का कारण बन रही है । धरती से वृक्षों और जीव जंतुओं की अन्य प्रजातियां विलुप्त हो रही है क्योंकि उनके निवास स्थान पर मनुष्य ने अपना कब्जा कर लिया है ।
जंगल, पहाड़, नदी सब मानव के अतिक्रमण का शिकार हैं । प्रदूषण का आलम तो पूछिए मत शुद्ध हवा, पानी और प्राकृतिक नजारे देखने को नहीं मिलते । हर जगह बस भीड़ दिखाई देती है । शोर सुनाई देता है ।
जनसंख्या विस्फोट से महंगाई पर बहुत असर हुआ है । जिसके कारण गरीब और अमीर के बीच की खाई बढ़ती जा रही है । सीमित संशाधन के दम पर इतनी बड़ी जनसंख्या का प्रबंधन करना भी तो असम्भव है अव्यवस्था उत्पन्न होना तो लाजमी है।
जनसांख्यकीय 2020 के अनुसार पूरे विश्व की जनसंख्या 7 अरब अस्सी करोड़ तक पहुँच चुकी है । आपको बता दे कि दुनिया की आबादी एक अरब तक पहुँचने में 20 लाख वर्ष का समय लगा । लेकिन 200 साल में आबादी 7 अरब तक पहुँच गयी । 770 पहले विश्व की जनसंख्या 37 करोड़ थी जो अब बढ़कर 8 अरब तक पहुँच गयी ।
अभी तो विश्व में सबसे अधिक जनसंख्या चीन की है 1, 44 ,42 ,16 ,107 और भातर 1, 39 ,19 ,42 ,558 आबादी के साथ दूसरे नंबर पर है । लेकिन जिस हिसाब से भारत विकास अर्थात् जनसंख्या विकास कर रहा है 2030 तक 1अरब 52 करोड़ 80 लाख आबादी के साथ चीन को पछाड़कर इस आबादी युद्ध का विजेता बन जाएगा ।
लेकिन ये विजय भारत के लिए किसी अभी श्राप से कम नहीं होगी । क्योंकि इतनी अधिक जनसंख्या किसी भी देश के प्रगति को बाधित करने के लिए पर्याप्त है ।इसका उदाहरण कोरोना काल मेंं हम देख ही चुके हैं । और अभी भी देख रहे हैं ।
दुनिया मेंं सबसे तेज गति से टीकाकरण अभियान भारत मेंं चल रहा है लेकिन फिर भी अभी देश की पूरी आबादी को ठीक नहीं लग सका है । ऑक्सीजन की किल्लत को को नहीं जानता है । यदि भारत की जनसंख्या कम होती तो शायद आज हम कोरोना का इतना भयावह रूप देखने से बच जाते क्योंंकि तब हमारे पास इस महामारी से निपटने के लिए पर्याप्त साधन होते ।
ये तो बस एक पहलु भारत की लगभग सभी समस्याओंं की जड़ में यही जनंसख्या वृद्धि ही है । बेरोजगारी , महंगाई , प्रदूषण , अशिक्षा, अव्यवस्था सभी चीजें इसी जनसंख्या विस्फोट की वजह से है ।
ऐसा नहीं है कि भारत में जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानून नहीं बने । अभियान नहीं चलाये गए लेकिन वह सफल नहींं हो सके क्योंकि भारत एक धार्मिक मान्यताओं वाला देश है । यहाँ लोग एक पुत्र के लिए 7 – 7 बच्चे तक पैदा कर लेते हैं । धर्म को हमेशा से ही देश से ऊपर रख कर देखा जाता है । मुस्लिम अपनी जनसंख्या बढ़ाने के जदोजहद कर रहे ताकि उनका दबदबा कायम हो ।
पिछड़ी जाति के लोग भी खुद को अल्पसंख्यक की श्रेणी से निकलना चाहते हैं अगर कोई कानून जनसंख्या को विस्फोट को रोकने के लिए आता है तो उसे मुसलमान विरोधी कानून बता दिया जाता है जिस देश मेंं ऐसी मानसिकता वाले लोग हो भला वहाँ की जनसंख्या को कैसे नियंत्रण में लगाया जा सकता है ।
उत्तर प्रदेश की जनसंख्या नीति
भारत मे सबसे अधिक जनंसख्या वाला राज्य उत्तर प्रदेश है यहाँ की जनसंख्या कई देशों की जनसंख्या के बराबर है । चुनाव के समय ही सही पर कम से कम यहां की सरकार ने इस बात को समझा तो और उसे नियंत्रित करने के लिए कदम भी उठाए।
उत्तर प्रदेश की सरकार ने उत्तर प्रदेश में जनसंख्या नीति 2021 से 2030 तक लागू करने की घोषणा की है 11 जुलाई विश्व जनसंख्या दिवस पर इस नीति की घोषणा की गयी । इस नीति के तहत दो बच्चों की नीति लागू की गई अर्थात् दो से अधिक बच्चे पैदा करने वाले दंपत्ति को कल्याणकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलेगा ।ऐसे लोग सरकारी नौकरी के लिए अयोग्य हो जायेगे । नौकरी में है तो लाभ कम मिलेगा । सब्सिडी नहीं मिलेगी ।स्थानीय निकाय के चुनाव नहीं लड़ सकेंगे ।
लेकिन अभी ये योजना ज़मीन पर आयी भी नहींं है इसे लेकर सियासत तेज हो चुकी है । विपक्ष इसे मुसलमान विरोधी कानून बात रहा तो कोई चुनावी प्रोपोगंडा ऐसे में कैसे सफल होगी ये योजना देखने का विषय है ।