अधिकारों के साथ मौलिक कर्तव्यों को समझने वाला गणतंत्र दिवस

26 जनवरी 2022 को हमारा गणराज्य 73साल का हो गया। हिंदुस्तान अपने गणराज्य बनने का 73वां सालगिरह मना रहा है। इन 73 सालों में भारत ने बहुत कुछ बदलते देखा है। कभी भुखमरी से जूझता भारत आज विश्व में एक बड़े स्तर पर निर्यातक देश के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहा है और सैकड़ों भूखे पेट को भर रहा है। धरती,आकाश और पानी हर जगह अपनी सफलता की कहानी कहता ये है नया भारत जो पूरे विश्व को एक बड़े एवं मज़बूत लोकतंत्रात्मक एवं गणतंत्रात्मक शक्ति का परिचय दे रहा है।

पिछले 73सालों में देश ने कई तरह की समस्याओं, अड़चनों एवं विभिन्न प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना किया है। इसके बाजूद हिंदुस्तान हर दिन,हर महीने, हर साल एक नई दिशा में,एक नई सोच के साथ एक नई इबादत गढ़ता गया। भारत को इस बुलंदी तक पहुंचाने का श्रेय 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ विश्व का सबसे बड़ा हस्त लिखित संविधान को जाता है। जो देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता को ध्यान में रखते हुए देश के अंतिम व्यक्ति तक को शक्ति प्रदान करता है।

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हमारा संविधान लिंग,जाति,धर्म,संप्रदाय से परे प्रत्येक नागरिक को समान अधिकार देता है। इसे इत्तेफ़ाक समझिए या महज एक विडंबना लगभग देश का हर नागरिक संविधान द्वारा प्रदत्त अपने अधिकारों की जानकारी तो रखता है, लेकिन उसी संविधान में वर्णित मौलिक कर्तव्यों के प्रति वो उदासीन है। आए दिन अपने अधिकारों के हक के लिए सड़क जाम करना,आंदोलन करना सभी को आता है लेकिन देश के प्रति हमारा क्या कर्तव्य है हम इससे बिल्कुल अनिभिज्ञ हैं।

संविधान के अनुच्छेद 51(A) के तहत देश के प्रत्येक नागरिकों के लिए कुछ मौलिक कर्तव्य अंकित किए गए हैं। उसके अनुसार- देश का प्रत्येक नागरिक संविधान का पालन करे उसके आदर्शों,संस्थाओं,राष्ट्रध्वज और राष्ट्रगान का आदर करे। भारत की संप्रभुता,एकता और अखंडता की रक्षा करें और उसे अक्षुण्ण बनाए रखें। इकत यह है कि हमारी एकता और अखंडता महज चंद नारों से ही खंडित हो जाती है। इसी क्रम में प्रकृति और पर्यावरण के प्रति भी समर्पित एवं दया की भावना रखना हमारा कर्तव्य है जिसे अब हम भूल चुके हैं। सार्वजनिक संपत्ति की सुरक्षा और हिंसा से दूर रहना हमारा मौलिक कर्तव्य है लेकिन यह हिंदुस्तान की विडंबना है कि हर आंदोलन में देश की सार्वजनिक संपत्ति ही अपना बलिदान देती है। 6 से 14 वर्ष तक की आयु के बच्चों के लिए शिक्षा का भी प्रावधान है जो सच्चाई से कोसों दूर है। सड़क पर भीख मांगते और बाल मजदूरी करते वह बच्चे इसका साक्षात प्रमाण है।

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अब जरूरत है हिंदुस्तान के लोगों को अपने अधिकारों के साथ-साथ कर्तव्यों के प्रति भी जागरूक होने का। हमें अपने कर्तव्यों का पालन करना होगा जिससे हमारा राष्ट्र और अधिक प्रगति करे।

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