पश्चिम बंगाल में बीते दिनों जो कुछ भी हो रहा है वह बहुत ही अमानवीय है, दर्दनाक है और निंदनीय है | पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी ने अपनी तृणमूल कांग्रेस की सरकार फिर से बना तो ली है पर कहीं ना कहीं यह एक ऐसा संदेश दे रही है जिससे ममता बनर्जी की पार्टी को खासा नुकसान हो सकता है और साथ ही साथ छवि भी खराब होगी मसला यह है कि पश्चिम बंगाल में अमानवीय तरीके से हिंसा, यौन उत्पीड़न और तोड़फोड़ हो रहा है | इसमें आम जनमानस भी परेशान है और लोगों को अपनी जान से हाथ भी गंवाना पड़ रहा है, आलम यह है कि प्रशासन की गाड़ियों को भी नहीं छोड़ा जा रहा है |

यह बहुत ही शर्म की बात है कि जब हम भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार को फासीवाद का दर्जा देते हैं तो हम भारतीय जनता पार्टी के हिंसक और अहिंसक रूप से रोक लगाने का हवाला देते हैं, पर हम यह भूल जाते हैं कि क्या उसी प्रकार का फासीवाद या उससे भी बड़ा रोक कोई और पार्टी नहीं लगा सकती | तृणमूल कांग्रेस का यह पहली बार प्रदर्शन नहीं है ऐसे तमाम प्रदर्शन देखे जा चुके हैं जिसमें कि तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ता अपनी मनमानी चलाते हैं लोगों को परेशान करते हैं और भारतीय जनता पार्टी से हिंसा मोल लेते हैं | भारतीय जनता पार्टी के सूरते हाल बंगाल, में खास अच्छी नहीं है हालांकि बीजेपी को 2021 के विधानसभा चुनाव में 70 से ज्यादा सीटें प्राप्त हुई और कहीं ना कहीं यह प्रदर्शन से भारतीय जनता पार्टी संतुष्ट होगी | पर, जहां संतुष्ट नहीं होगी वह यह है कि नंदीग्राम से ममता बनर्जी को 19 सौ वोट से हराने वाले शुभेंदु अधिकारी के ऊपर हमले होते हैं, भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं को बहुत बुरी तरीके से प्रताड़ित किया जाता है |
तृणमूल कांग्रेस को समझना यह होगा कि अगर वह भारतीय जनता पार्टी के फासीवाद का हवाला देते हैं तो “बदला कभी भी न्याय का रूप नहीं ले सकता” और इस चीज से सीख लेनी चाहिए की वह अगर मारपीट कर रहे हैं और अगर आप भी मारपीट कर रहे हैं, लोगों को परेशान कर रहे हैं, आम जनमानस को परेशान कर रहे हैं या बोलने की आजादी पर रोक लगा रहे हैं तो यह पूरी तरह से गलत है और उनमें और आप में कोई फर्क नहीं रह जाएगा | ऐसा ही एक प्रकरण याद आता है जब चुनाव की रैली के दौरान या चुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा बंगाल के दौरे पर थे तब उनके काफिले पर हमला हुआ था, सन 2019 की तरफ अगर लेकर चला जाए तो ममता बनर्जी के द्वारा जय श्रीराम के नारे बोलने पर रोक लगाया गया था और यह ऐसे एक बार के प्रकरण नहीं है ऐसे प्रकरण कई बार हो चुके हैं और यह किसी किसी भी तरीके से फासीवाद से कम नहीं है |
साथ ही साथ तृणमूल कांग्रेस को यह भी समझना होगा कि उनके कार्यकर्ता भी इसमें चपेट में आ रहे हैं और तृणमूल कांग्रेस ने साफ कहा है कि उनके 4 कार्यकर्ता मारे जा चुके हैं पर अनाधिकारिक आंकड़ों के अनुसार थे तृणमूल कांग्रेस के 6 कार्यकर्ता मारे जा चुके हैं | आलम यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राज्यपाल से बात करना पड़ता है और राज्य का जायजा लेना पड़ रहा है | सोचना यह होगा कि इस कोरोना काल दौरान जब देश में ऑक्सीजन की परेशानी है, लोगों को बेड नहीं मिल पा रहे हैं, अस्पताल में जगह नहीं मिल पा रहा है लोग परेशान है 3.50 लाख से ऊपर केस आ रहे हैं उस दौरान हमारे देश में राजनीति के लिए या राजनीति के तौर पर न्याय के नाम पर लोगों से बदला लिया जा रहा है |

ममता बनर्जी ने मुख्यमंत्री के तौर पर आज शपथ लिया है तीसरी बार देखना यह होगा कि ममता बनर्जी इन हिंसा ऊपर क्या कर सकती हैं या कितने बड़े कदम उठाती हैं हालांकि इस पर सब को सोचना चाहिए साथ ही साथ कांग्रेस और लेफ्ट ने भी इस पर संवेदना जताई है और इन पूरे मसलों का और इस पूरे हिंसा का विरोध किया है | देखते हैं दीदी एक बार फिर आई हैं क्या खेला करती हैं और अगर नहीं करती हैं तो क्या चुनावी भाषणों तक खेला था |