खंड-खंड में बंटे देश को अखंडित कर अखंड राष्ट्र की नींव रखी थी लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल ने।
कहते हैं कि भारत एकमात्र ज़मीन का टुकड़ा नहीं बल्कि यह जीता जागता, खुद में अनेकों विविधताओं,भिन्न -भिन्न संस्कृतियों-सभ्यताओं एवं परंपराओं को समेटे हुए वह राष्ट्र है जो पूरे विश्व को एकता की शक्ति से परिचय कराता है। हिंदुस्तान यूं ही नहीं अपनी भव्यता और वैभव पर इतराता है। मां भारती के आंचल से ऐसे अनेकों युग पुरुषों ने जन्म लिया जो युग-युगांतर तक हिंदुस्तान की मिट्टी को गौरवान्वित कराते रहेंगे।
आज जब हम इस विशाल भारत को देखकर अपने छाती चौड़ी करते हुए गर्व महसूस करते हैं तो उसकी कल्पना सरदार वल्लभ भाई पटेल के बिना अधूरी रह जाती। देश को एक सूत्र में बांधने वाले,आजादी की लड़ाई के सबसे बड़े सेनानियों में से एक जिसके नीति के आगे सभी राज-राजवाड़ों ने घुटने टेक दिए।खंड-खंड में बंटे देश को अखंडित कर अखंड राष्ट्र की नींव रखने वाले सरदार पटेल ने एक ऐस राष्ट्र की रचना की जो संपूर्ण विश्व पटल पर एकता और अखंडता के ध्वज को पूरे गर्व से लहरा रहा है।
क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय एकता दिवस
38,87,263 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला हिंदुस्तान और इसकी विभिन्नताएं। ना सिर्फ भौतिक रूप से बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी अनेक विविधताओं में बंटे हिंदुस्तान को देखकर दुनिया आज भी अचंभित रह जाती है। उत्तर से दक्षिण हो या पूरब से पश्चिम भाषा,संस्कृति रहन-सहन सब कुछ बदल जाता है लेकिन जो नहीं बदलता है वह है हिंदुस्तानी एकता। इतने विरोधाभासों के बावजूद अपना देश एक मजबूत धागे में बंधा हुआ है और इस धागे को एकता की शक्ति से बुननें,इससे मजबूत करने एवं इसकी रक्षा सुनिश्चित करने का सबसे बड़ा श्रेया एक व्यक्ति को जाता है।जिनका नाम है लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल और इन्हीं के पुण्य जन्म दिवस की स्मृति में 31 अक्टूबर को मनाया जाता है राष्ट्रीय एकता दिवस।
यूं ही नहीं कहा जाता सरदार वल्लभ भाई पटेल को लौह पुरुष
आज पूरा हिंदुस्तान एकता दिवस मना रहा है। आज ही के दिन यानी 31 अक्टूबर 1875 को भारत के पश्चिमी तट पर सोमनाथ मंदिर से करीब 400 किलोमीटर दूर गुजरात के नाडियाड में जन्में सरदार पटेल ने अपनी असाधारण संगठन क्षमता के बल पर मुश्किल समय में भी देश को एक सूत्र में बांधे रखा। 1946-47 कठिन दिनों में जब एक तरफ देश आजादी और दूसरी तरफ़ विभाजन की स्थिति में था तब देश की अखंडता का संकल्प लेकर सरदार पटेल ने लौह पुरुष की तरह देश को एकता में बांधे रखा।
कुशल नेतृत्वकर्ता थे लौह पुरुष
सरदार वल्लभभाई पटेल में नेतृत्व करने की असाधारण क्षमता थी। यह उनके कुशल नेतृत्व का ही देन था कि 562 छोटी-बड़ी रियासतों एवं कई छोटे-छोटे राजघरानों को भारत में सम्मिलित करके वर्तमान स्वरूप के भारत का निर्माण किया। जब हिंदुस्तान आजाद हुआ तब देश के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती थी इसकी एकता को बनाए रखने का। आजादी के साथ-साथ भारत दो भागों में बंट चुका था और इसकी चपेट में समूचे भारत की जनता थी। उस वक्त सरदार पटेल ने देश की जनता से अपील की कि वह अपनी एकता को खंडित ना करें।
सरदार वल्लभभाई पटेल अपने जीवन में महात्मा गांधी से सर्वाधिक प्रभावित थे। गांधीजी के सानिध्य में ही उन्होंने अपना राजनीतिक जीवन शुरू किया। यह व्यक्तित्व के प्रभाव का ही असर था कि चंपारण में महात्मा गांधी द्वारा किसानों की सहायता करते देखकर 1928 में सरदार पटेल ने बारदोली सत्याग्रह में अंग्रेजों द्वारा प्रांतीय किसानों पर 30% लगान वृद्धि का पुरजोर विरोध किया। उन किसानों के अंदर आत्मविश्वास भरा और इसका परिणाम यह हुआ कि सारे किसान ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ लड़ें।
लौह पुरुष के प्रति सदैव कृतज्ञ है राष्ट्र
सरदार वल्लभ भाई पटेल ने सिर्फ रियासतों का एकीकरण और हिंदुस्तान में उनका विलय ही नहीं किया बल्कि वल्लभ भाई पटेल एक महान राष्ट्रवादी थे। इतिहासकारों ने इनके व्यक्तित्व पर बहुत कम लिखा है। सही मायने में देखा जाए तो इनका व्यक्तित्व इतना विशाल है कि कोई कलम उस पर संपूर्ण रूप से लेखन कर ही नहीं सकती।
सरदार पटेल नी जिस अखंड भारत की नींव रखी थी बड़े अफसोस से कहना पड़ रहा है कि आज वह भारत कहीं नजर नहीं आता। आज पूरा हिंदुस्तान धर्म,जाति, संप्रदायों में बंटा हुआ है और इसका सबसे अधिक लाभ सियासत को मिलता है। स्वयं को सर्वश्रेष्ठ बनाने की होड़ में देश की एकता कहीं खो सी गई है। सही मायने में हिंदुस्तान को पुनः सरदार पटेल के उस निर्माणित भारत के रूप में वापस लाना होगा और यही लौहपुरुष के लिए देश की सच्ची श्रद्धांजलि होगी।