कोरोना का एक ही तोड़ , काशी मॉडल हर ओर

काशी मॉडल का करिश्मा

वाराणसी में कोरोना से लड़ने के लिए जो रणनीति बनायी उसे आज पूरा देश काशी मॉडल के नाम से पहचान रहा है । वेद पुराणों में आपने ज्ञान के लिए जानी जाने वाली काशी नगरी ने आज एक बार फिर अपने विवेक को सिद्ध कर दिया है । यू तो बनारस की कई विशेषताएं और गौरव कथाएं है लेकिन इस समय सबकी जुबान पर बस काशी मॉडल का जिक्र है । इसकी तारीफ मोदी भी कर रहे हैं और देश के सभी जिलों में इसी मॉडल को लागू करने की नसीहत दे रहे हैं ।

Screenshot 20210524 132922 Chrome

काशीवासियों ने एक बार फिर आपने ज्ञान का लोहा मनवाया

  • दरसअल कोरोना के दूसरी लहर ने अप्रैल की शुरुआत से ही बनारस को अपने लपेटे में लेना शुरूकर दिया । 3 अप्रैल से जिले में संक्रमण बढ़ने लगा तीन- चार दिन में संक्रमण ने भयानक रूप ले लिया। जिससे निपटने के लिए जिला प्रशासन ने राज्य सरकार के दिशा निर्देश का इंतजार किये बिना अपने अधिकार का प्रयोग करते हुए अपने क्षेत्र में काम करना शुरू किया । जिसमें जिले के व्यपारियों ने अभूतपूर्व भूमिका निभाई । यहाँ के व्यपारियों में स्वतः लॉकडाउन का निर्माण किया ।
  • प्रसाशनिक अधिकारी , व्यापारी , आम जनता के साथ -साथ काशी की आत्मा अर्थात् मंदिरों ने भी अपना पूरा योगदान दिया । सभी के साथ से ही काशी एक बार फिर इतिहास बनाने में सफल हुआ है ।
  • जहां 23 अप्रैल को वाराणसी में एक दिन में सबसे अधिक 2700 मामले सामने आये थे वही आज एक दिन में संक्रमितों का आंकड़ा घटकर 250 आ चुका है ।
  • 18 अप्रैल को संक्रमण दर 40 .2 फीसदी थी जो आज कम होकर 3 फीसदी तक पहुँच चुकी है ।
  • आज बनारस ऑक्सीजन के लिए आत्मनिर्भर है ।
  • प्रधानमंत्री ने बताया कि काशी में टीकाकरण का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है । 4, 25 ,000 लोगों को टीका लग चुका है जिसमें से 90000 लोगों को दूसरी डोज भी मिल चुकी है ।
  • वही टीके की बेकार होने वाली डोज पहले जहां 7 प्रतिशत थी वह घटकर 1.94 तक आ गया है।
  • अस्पतालों में पर्याप्त बेड मौजूद है ।

काशी मॉडल को बिन्दुओं में समझे

  • काशी मॉडल में टी3 फार्मूले बनाया गया ।
  • टी3 का अर्थ है ट्रेस, ट्रैक और ट्रीट।
  • मतलब ” जहाँ मरीज वही इलाज “
  • बनारस में बीते डेढ़ महीने में 85 हजार कोरोना के मामले आये । इतनी संख्या में यदि लोग अस्पतालों में आ जाते तो जिले में तबाही मच जाती इस लिए प्रशासन ने टी3 फार्मूला अपनाया ।
  • 438 सदस्यों की कुल 174 निगरानी समितियां बनायीं गयी ।जिसमें समिति के हर सदस्य को पल्स ऑक्सिमिटर , थर्मल स्कैनर और जरूरी दवाओं की किट दी गयी । ताकि जहां कोरोना के लक्षण दिखे उस संदिग्ध का वही इलाज किया जा सके । इससे अस्पतालोंं का बोझ कम हुआ । और अस्पतालों में बेड की संख्या बढ़ाने के लिए समय मिला ।
  • ट्रेसिंग में कोई संदिग्ध मिला तो दवा शुरू करने के साथ वही उसका RTPCR टेस्ट कराया गया ।
  • कोरोना कर्फ्यू के दौरान जरूरी सेवाओं की दुकानों को प्रोटोकॉल के तहत 1 बजे तक खोलने की मंजूरी दी गयी । बड़ी बात ये है कि ऐसा व्यपारियों ने अपनी इच्छा से किया ।
  • निजी अस्पतालों और दवाओं की कलाबजारी पर रोक लगाने के लिए भी छोटे- छोटे कंटेंमेंट जॉन बने और मजिस्ट्रेट नियुक्त किये गए ।
  • मंदिरों में भी अपना खजाना कोरोना के विरुद्ध खोल दिया । ऑक्सीजन आपूर्ति और सार्वजनिक भोजनालयों के लिए मंदिर ट्रस्ट सामने आए
  • और आज इन सभी कार्यों का परिणाम सबके सामने है । जिले की प्रशासनिक व्यवस्था किसी भी जिले के लिए इसके राजनीति इकाई से अधिक आवश्यक है । काशी में ये बात देश को बता दी । आज देश वाराणसी के डीएम कौशल राज शर्मा की तारीफ़ कर रहा है ।क्योंकि उन्होंने अपने अधिकार को ना सिर्फ समझा बल्कि उसका बखुबी प्रयोग किया । और पूरे काशी ने उनका साथ तन, मन औऱ धन से साथ दिया ।

केजरीवाल काशी मॉडल का अध्ययन करें

कन्फेडरेशन ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरबिंद केजरीवाल से काशी मॉडल के अध्ययन का आग्रह किया । साथ ही उनके लॉकडाउन बढ़ाने के फैसले का समर्थन किया । कैट की मानें तो दिल्ली में बीते 50 दिनों में ₹40 करोड़ का नुकसान हुआ है महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने कहा काशी की तरह व्यापारियों से बात कर सरकार लॉकडाउन खोलने की दिशा तय करें।
प्रधानमंत्री भी चाहते हैं कि काशी मॉडल को पूरे देश में अपनाया जाए। काशीवासियों से संवाद के बाद अब प्रधानमंत्री कार्यालय बनारस के प्रयासों पर डाक्यूमेंट्री को पूरे देश में एडवाइजरी के साथ जारी करेगा।
वाराणसी का काशी मॉडल देश के लिए किसी उपलब्धि से कम नहीं है ।

इसे भी पढ़िए….खतरे की घंटी ; व्हाइट फंगस

Table of Contents

Scroll to Top