कहा तक पहुँचा राम मंदिर निर्माण का कार्य

तरस गयी सबकी अखियां कब देखने को मिलेगा राम लाल का भव्य मंदिर

हमारे आदर्श प्रभु मर्यादा पुरुषोत्तम राम के जन्म भूमि पर राम लाल के मंदिर निर्माण का सफर काफी लंबा रहा है । वनवासी बनकर टेंट में लगभग 500 वर्ष गुजरने के बाद 9 नवंबर 2019 आखिरकार उनकी घर वापसी का रास्ता साफ हो गया । लेकिन अभी प्रभु को अपने भव्य मंदिर में जाने के लिए कम से कम 3 साल का इंतजार और करना होगा । राम मंदिर निर्णय के कार्य मेंं अभी 3 साल का वक़्त लगेगा । 2024 निर्माण पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है ।

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5 अगस्त 2020 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राम जन्मभूमि पर मंदिर की नींव डाली थी । भूमि पूजन के एक वर्ष पूरे होने को हैं । राम लाल के मंदिर निर्माण का कार्य अपनी फूल स्पीड में चल रहा है । सारे मजबूर और इंजीनियर रोजाना डबल शिफ्ट में काम कर रहे हैं । मंदिर का पूरा ब्लू प्रिंट तैयार है । राम लाल का मंदिर 360 फीट लम्बा 235 फीट चौडा होगा । 161 फीट ऊँचे इसके शिखर पर राम ध्वज होगा । नागर शैली में बना 5 गुम्बदोंं वाला राम लाल का मंदिर 318 स्तम्भों पर खड़ा तीन मंजिलों का होगा ।

कहा तक पहुँचा कार्य

अभी मंदिर के नीव भराई का काम चल रहा है । भगवान राम का मंदिर जितना भव्य होगा उससे अधिक स्थायी होगा । हजारों वर्षों तक इसका अस्तित्व बना रहेगा । राम मंदिर के नीव के लिए 400 फीट×300फीट यानी 1लाख 20 हजार स्क्वायर फीट क्षेत्र में 45 फीट गहरी खुदाई की गई है । जिसमे से करीब 1लाख 20 हजार घन मीटर मालवा निकाल है ।

राम मंदिर की नींव आर सी सी (रोलर कॉम्पेक्ट कंक्रीट ) तकनीक से तैयार की जा रही है । आर सी सी तकनीक से तैयार होने वाला ये विश्व का पहला मंदिर होगा । नीव में 1 फीट मोटी कंक्रीट की 45 परते डाली जाएगी । इसमें पहले 12 इंच की एक परत बिछाते है फिर उसे रोलर से दबाकर 10 फीट कर देते हैं फिर दुसरी लेयर बिछाते है । एक परत को बिछाकर उसे रोलर से कॉम्पेक्ट करने में लगभग चार से पांच दिन का समय लगता है ।

राम मंदिर के नीव भरने का काम मार्च के दूसरे सप्ताह से चल रहा है अभी तक कुल पांच परते डाली जा चुकी है । 40 परते डालना अभी बाकी है । माना जा रहा है कि अक्टूबर तक नीव भरने का काम पूरा हो जाएगा । नीव का काम पूरा होते ही राम मंदिर का निर्माण कार्य और गति पकड़े गा।

मंदिर निर्माण में प्रयोग होने वाले पत्थरों की नकासी का काम पिछले 30 वर्षों से कारसेवकों द्वारा किया जा रहा है । पत्थरों को तराशने का काम लगभग पूरा हो चुका है । तीन प्रकार के पत्थरों से बनेगा राम लाल का भव्य मंदिर । अगर काम ऐसे ही चलता रहा तो 2024 तक राम लाल को उनका मंदिर मिल जाएगा ।

क्या है आर सी सी तकनीक

आर सी सी यानी रोलर कॉम्पेक्ट कंक्रीट कहा जाता है । यह एक विशेष तकनीक है जिसे 60 को दशक में अमेरिका द्वारा इजाद किया गया था । इस तकनीक का प्रयोग नदियों पर बांध बनने के लिए या भूकंप वाले क्षेत्रों में किया जाता है । आर सी सी के मिश्रण में सीमेंट और पानी की मात्रा कम रहती है । इसमें बिजली घर से निकले वाली राख , पत्थर के पाउडर , गिट्टी आदि का प्रयोग किया जाता है ।

क्यो हो रहा राम मंदिर के निर्माण में आर सी सी तकनीक का प्रयोग

राम लाल के भव्य मंदित की लोगोंं को वर्षों से प्रतीक्षा है । लेकिन ये मंदिर भव्य और स्थायी दोनों होना चाहिए । दरअसल राम जन्मभूमि वाले स्थान पर भूमि कर अंदर भी रेतीली मिट्टी ही है । वहां सॉलिड मिट्टी न मिलने के कारण आर सी सी तकनीक का इस्तेमाल करना पड़ रहा है । इस तकनीक के प्रयोग से मंदिर हजारों साल तक स्थायी बना रहेगा ।

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