प्रदूषण पर लगेगा अंकुश,सड़को समेत नाले भी होंगे साफ
दुर्गापुर बंगाल, प्रदूषण: सड़को की सफाई व कचरा प्रबंधन देश की बड़ी समस्या है।आमतौर पर सड़को या गलियो की सफाई के लिए आज भी झाड़ू का प्रयोग होता है। कई जगहों पर साफ सफाई के लिए वैक्यूम स्विपिंग सिस्टम का इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन इससे धूलकण उड़कर वातावरण में फेल जाते है, जिससे प्रदूषण फैलता है।
इससे निपटने के लिए , सेंट्रल मैकेनिकल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीएमईआरआई) दुर्गापुर ने ऐसी मशीन विकसित कि है जिससे वातावरण को नुकसान पहुंचाए बिना और कम समय में सड़को की साफ सफाई की जा सकती हैं। इस मशीन के जरिए नालियों और मेनहोल का गंदे पानी को साफ कर सड़को की सफाई की जाएगी। जिसका नाम रोड क्लीनिंग मशीन रखा गया है।
सीएमईआरआई की कॉलोनी की सड़को की सफाई इसी विधि से की जा रही है। जिसके परिणाम शानदार आए है। सीएमईआरआई के विज्ञानी अविनाश कुमार यादव, दबिश शर्मा, कुलभूषण, चंचल गुप्ता, इप्सिता सरकार की टीम ने इस मशीन को तैयार किया है।
सीएमईआरआई के इस तकनीक में करीब पांच लाख रुपए की लागत लगी है। तीन माह में कई परीक्षण के बाद यह तकनीक तैयार की गई है।
यह तकनीक कैसे काम करती है
इसे बनाने वाले वाज्ञानीयो ने बताया कि इस विधि में यह मशीन ट्रैक्टर या किसी बड़े वाहन में रखा जाता है, जिसके माध्यम से सफाई की जानी है, उसमे पूरी मशीन रहती है। इस मशीन में दो चैंबर (टंकी) बनाए गए है। पहले में नाले का पानी रखा जाता है, फिर उसे साफ कर के दूसरे चैंबर में भेजा जाता है।
उपरुक्त तस्वीर में यह साफ देखा जा सकता है कि कैसे, किसी नाले या सीवर से पंप से पानी को खीच कर पहले चैंबर में ले जाते है। उनमें ठोस अपसिस्ट भी होते है,जिनको फिल्टर द्वारा अलग कर और नाले के पानी में दुर्गंध या बदबू भी होते है।
इसके फायदें क्या है
इस तकनीक के इस्तेमाल में केवल दो श्रमिको की जरूरत पड़ती है, पहले चालक व कर्मी। इससे सफाई का काम जल्दी पूरा हो जाता है। धूलकण से होने वाले प्रदूषण पर भी रोक लगेगी। इसकी खास बात यह है कि सड़को के सफाई के साथ साथ मेनहोल व सीवर सिस्टम को भी सफाई जाति है। जिससे बदबू और गंदगी से भी छुटकारा मिलेगा। इस प्रिक्रिय में निकले ठोस पदार्थों का खाद बनाए जा सकते है।
सेंट्रल मैकेनिकल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट, दुर्गापुर के निदेशक – प्रो. डॉ. हरीश हिरानी के कहा, वर्तमान में देश में सड़को की सफाई झाड़ू या वैक्यूम प्रणाली के माध्यम से होती है। इससे वातावरण में धूल कण उड़ते है। इस तकनीक से इस प्रदूषण को रोका जा सकता है। जब नाली के पानी का इस्तेमाल सड़को को साफ करने में होगा । इस प्रक्रिया से गंदे पानी का सदुपयोग होगा और जल संरक्षण भी किया जाएगा।